कुछ ऐसे रोगों तथा आपात समस्याओं का वर्णन किया जा रहा है जोकि किसी विशेष प्रणाली के अन्तर्गत नहीं आते पर जो किसी आयु में, किसी भी व्यक्ति को हो सकते हैं।
बालों के रोग (Hair Problems)
सुन्दर केश केवल मुख-मण्डल की ही शोभा नहीं बढ़ाते अपितु ये मनुष्य के अच्छे स्वास्थ्य के भी प्रतीक हैं। एक्युप्रेशर द्वारा बालों का अधिक गिरना रोका जा सकता है, इन्हें लम्बी आयु तक काले रखा जा सकता है तथा गंजापन आने की अवस्था में कुछ परिस्थितियों में केश प्राप्त किए जा सकते हैं।
पुनः बालों का पैदा होना तथा झड़ना एक कुदरती क्रिया है। डाक्टरों की ऐसी राय है कि अगर दिन में 40-50 बाल झड़ते हैं तो इससे डरने की आवश्यकता नहीं पर अगर बाल गुच्छों के रूप में टूटने शुरू हो जायें तो बालों की सुरक्षा की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। बालों के रोग अनेक कारणों से हो सकते हैं यथा पैतृक, हॉरमोनस की कमी या असमानता, खुश्की, कुपोषण, संक्रमण तथा सिर में गंदगी, चिंता, तनाव तथा मानसिक परेशानी, प्रतिकूल वातावरण तथा कोई गंभीर बीमारी इत्यादि।
केशों और नाखूनों का आपस में गहरा सम्बन्ध है। केशों के समस्त रोग दूर करने के लिए दोनों हाथों की आटों अँगुलियों के नाखूनों को आपस में तेजी के साथ रगड़ना चाहिए जैसाकि आकृति नं० 1 में दर्शाया गया है। यह क्रिया दिन में दो या तीन बार प्रति बार लगभग 5 मिनट तक करनी चाहिए। इस क्रिया से कुछ सप्ताह के बाद बहुत अच्छे परिणाम मिलने शुरू हो जाते हैं।

बालों के प्रत्येक रोग को दूर करने तथा इन्हें सुन्दर बनाने के लिए हाथों की अंगुलियों के नाखूनों को आपस में तेजी से रगड़ें। समय दिन में दो-तीन बार प्रति बार 5 मिनट तक।
इसके अतिरिक्त हाथों तथा पैरों के अँगूठों के बाहरी, भीतरी तथा ऊपरी भागों पर भी प्रेशर दें। ये भाग गर्दन तथा सिर से सम्बन्धित होते हैं और सिर को रक्त की सप्लाई इन्हीं भागों से होती है।
बालों को निरोग रखने के लिए उच्च प्रोटीनयुक्त पौष्टिक आहार लेना आवश्यक है। दालें, दूध व अंडे नियमित रूप से खाने चाहिए। भोजन में सब्जियाँ अधिक होनी चाहिए। लहसुन की कच्ची कलियाँ खाना भी बालों के लिए काफी लाभकारी है। बालों को ताजी हवा तथा मन्द मन्द धूप भी लगवानी चाहिए पर तेज धूप से बालों को बचाना चाहिए।
गर्म पानी में नींबू की कुछ बूंदें डाल कर या आँवले के चूर्ण वाले पानी या नीम की पत्तियों का काढ़ा बना कर सिर धोने से भी बालों के कई रोग दूर हो जाते हैं। सरसों के तेल से सिर की मालिश करना भी काफी गुणकारी है। घटिया किस्म के शैंपू तथा साबुन इस्तेमाल नहीं करने चाहिए ।
हर्निया (Hernia)
हर्निया जिसे अंत्रवृद्धि भी कहते हैं यह रोग है जिसमें तन्तुओं का गुच्छा मांसपेशियों पर दबाव डालकर बाहर आना चाहता है। हर्निया तो वैसे शरीर के कई भागों में हो सकता है। पर यह अधिकतर पेट के क्षेत्र (in the abdominal wall) में ही होता है। हर्निया प्रायः पेट की मांसपेशियों की दुर्बलता, खाने पीने सम्बन्धी विकारों, एकदम झटका लगने, अत्यधिक संभोग करने, अधिक बोझ उठाने या वर्षों भर बिल्कुल व्यायाम न करने
तथा पाखाना करते समय अधिक जोर लगाने के कारण हो जाता पेट में वे स्थान जहाँ हर्निया है। आमतौर पर कई हर्निया में दर्द नहीं होता पर कई में खाँसते हो सकता है। हुए तथा पाखाना करते हुए भी बहुत दर्द होता है अंतड़ियों में सूजन तथा चलने में कठिनाई अनुभव होती है, कै करने को मन करता है तथा उल्टियाँ भी लग जाती हैं। कई हर्निया हाथ के साथ दबाने से पेट के अन्दर चले जाते हैं पर कई नहीं जाते। बढ़ी हुए अवस्था में वे प्रायः दिखते रहते हैं।

जैसाकि पहले बताया गया है हर्निया शरीर के कई भागों में हो सकता है पर अधिकतर हर्निया डायाफ्राम के क्षेत्र में पेट के ऊपरी भाग में होता है जिसे hiatus hernia कहते हैं। इसके अतिरिक्त epigastric hernia नाभि तथा पेट की हड्डी के मध्य क्षेत्र में (आकृति 1, प्वाइण्ट 1) होता है पर यह बहुत कम लोगों को होता है। Para-umbilical hernia (आकृति नं० 2, प्वाइण्ट 2) नाभि से थोड़ा ऊपर या थोड़ा नीचे होता है। यह भी काफी लोगों को होता है। पुरुषों की अपेक्षा स्त्रियों में यह लगभग पाँच गुना देखा गया है।
Umbilical hernia जन्म के समय बच्चों की नाभि के स्थान पर होता है और कुछ समय बाद स्वयं ही ठीक हो जाता है।
Inquinal hernia (आकृति नं० 2, प्वाइण्ट 3) विशेषतः पुरुषों का रोग है यद्यपि कुछ स्त्रियों को भी हो जाता है। Femoral hernia (आकृति नं० 2, प्याइण्ट 4) विशेषकर औरतों का तथा औरतों में भी मोटी तथा अधिक बच्चों को जन्म देने वाली औरतों को होता है।
डाक्टर प्रायः हर्निया का इलाज आपरेशन बताते हैं । अगर हर्निया बहुत बड़ा हुआ न हो तो यह एक्युप्रेशर द्वारा ठीक हो सकता है। इसके लिए स्नायुसंस्थान, डायाफ्राम, आमाशय, कोलन, अंतड़ियाँ, गुर्दे, पुरःस्थ ग्रन्थि, अण्डकोषों, गर्भाशय तथा डिम्बग्रन्थियों सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दें।
इसके अतिरिक्त पीठ पर शोल्डर ब्लेडस (shoulder blades ) से लेकर नीचे तक, रीढ़ की हड्डी से थोड़ा हट कर दोनों तरफ हाथों के अँगूठों से तीन बार प्रेशर दें। दोनों पैरों के चारों टखनों के साथ-साथ भी प्रेशर दें क्योंकि ये भाग भी हर्निया से सम्बन्धित हैं ।
जबान रोग तुतलाना तथा हकलाना (Disorders of Speech)
ये रोग किन्ही जन्मगत विकारों, दिमागी कमजोरी, ग्रंथियों की निष्क्रियता, मनोवैज्ञानिक समस्याएँ, गलतफहमी, भय तथा आत्म-विश्वास के अभाव के कारण होते हैं । इन रोगों को दूर करने के लिए दोनों पैरों तथा दोनों हाथों में मस्तिष्क, गर्दन के भाग, पिट्यूटरी, थाइरॉयड पैराथाइरॉयड तथा आड्रेनल ग्रंथियों के प्रतिबिम्ब केन्द्रों प्रेशर देना चाहिए जैसाकि आकृति नं0 3, 4 में पर दिखाया गया है।


इसके अतिरिक्त गर्दन तथा खोपड़ी की मिलन रेखा (प्वाइण्ट 1 से 7 ), गर्दन के ऊपर रीढ़ की हड्डी के दोनों तरफ (प्वाइण्ट 13 से 15, प्वाइण्ट 14 पर विशेष रूप से) हाथों के अंगूठों के साथ प्रेशर देना चाहिए।

याद शक्ति कमजोर होना (Weak Memory )
याद शक्ति कमजोर होने के कई कारण हो सकते हैं यथा मानसिक परेशानी, चिंता, निराशा, दिमागी काम अधिक करना, अधिक व्यस्त रहना, सिर में चोट लगना तथा शारीरिक कमजोरी इत्यादि ।
याद शक्ति बढ़ाने के लिए मस्तिष्क, गर्दन के भाग, पिट्यूटरी, थाइरॉयड तथा पैराथाइरॉयड ग्रंथियों के प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए जैसाकि आकृति नं० 3, 4, 5 में दिखाया गया है। इसके अतिरिक्त पैरों तथा हाथों में जिगर के प्रतिबिम्ब केन्द्रों तथा उन सब केन्द्रों पर प्रेशर दें जो दबाने से दर्द करें।
मुँहासे (Pimples)
किशोरावस्था में अनेक नवयुवक नवयुवतियों के मुँह पर कील मुँहासे निकल आते हैं। ये प्रायः इस आयु में हारमोनस के परिवर्तन के कारण होते हैं । गरिष्ठ भोजन, अधिक मांस तथा शराब के सेवन व लगातार कब्ज के कारण भी मुँहासे हो जाते हैं। लड़कियों में मासिकधर्म के विकार, चेहरे पर कई घटिया किस्म के सौंदर्य प्रसाधन तथा घटिया साबुन के प्रयोग से भी कील मुँहासे निकल आते हैं ।
कील मुँहासे हो जाने की स्थिति में अपने भोजन की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए। भोजन में सलाद, हरे पत्ते युक्त सब्जियाँ, दही, फल तथा दालें अधिक होनी चाहिए । गरिष्ट भोजन जैसे पराँठे, तले-भुने पदार्थ, मिर्च-मसाले, चिकनाईयुक्त मांस, मिठाइयां, चाकलेट, पेस्ट्री कॉफी तथा शराब बिल्कुल नहीं लेने चाहिए। पानी अधिक पीना चाहिए। हलका व्यायाम तथा सैर करनी चाहिए। नीम के पत्ते पानी में उबाल कर उस पानी से नहाना भी कील मुँहासे दूर करने में सहायक होता है।
यह बहुत जरूरी है कि चेहरे को साफ रखा जाए। दिन में कम से कम दो बार किसी औषधियुक्त साबुन से चेहरा भलीभाँति धोयें साफ रूई पर गुलाब जल लगाकर उससे भी चेहरा साफ किया जा सकता है। गुलाब जल कैमिस्ट से बंद शीशी में मिल जाता है। चेहरे पर किसी भी चिकनाईयुक्त क्रीम या तेल का प्रयोग न करें। कील निकलने पर एंटीसेप्टिक क्रीम इस्तेमाल करें। नवयुवतियों को अगर मासिकधर्म का विकार है तो इस रोग का उपचार करना चाहिए।
कील मुँहासों को दूर करने के लिए समस्त अंतःस्त्रावी ग्रंथियों-पिट्यूटरी, थाइरॉयड, पैराथाइरॉयड, आड्रेनल, डिम्बग्रथियों, अण्डकोषों, हृदय, जिगर, गुर्दों, अंतड़ियों, लसीकातंत्र तथा स्नायु संस्थान सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दें। शरीर से विजातीय द्रव्य निकल जाने तथा प्राकृतिक संतुलन बन जाने पर कील मुँहासे दूर हो जाते हैं।
चमड़ी के रोग (Skin Diseases)
चमड़ी के अधिकतर रोग एक्युप्रेशर द्वारा ठीक हो सकते हैं । किन्हीं रोगों में अगर पूरा आराम न आए तो आंशिक आराम अवश्य मिलता है। मेरे पास कई ऐसे पत्र आए हैं जिनके अनुसार रोगियों ने वर्षों के चमड़ी के रोग एक्युप्रेशर द्वारा दूर किए हैं।
चमड़ी के रोगों में समस्त अंतःस्त्रावी ग्रंथियों – पिट्यूटरी, पिनियल, थाइरॉयड, पैराथाइरॉयड, आड्रेनल, अण्डकोषों, डिम्बग्रन्थियों, हृदय, गुर्दों, जिगर, अंतड़ियों, लसीका तंत्र तथा स्नायु संस्थान सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दें। शरीर से विजातीय द्रव्य निकल जाने और प्राकृतिक संतुलन बन जाने पर चमड़ी के रोग दूर हो जाते हैं। ‘मेजिक मसाजर’ द्वारा हथेलियों में प्रेशर देने से चमड़ी के विभिन्न रोग बहुत जल्दी दूर होते हैं।
छोटा कद (Short Stature )
छोटा कद रहने का कारण पैतृक तथा ग्रंथियों की निष्क्रियता विशेषकर पिट्यूटरी तथा थाइरॉयड ग्रंथि की निष्क्रियता से सम्बन्धित है। शरीर का सामान्य विकास अठारह-बीस वर्ष की आयु तक होता है, अतः कद भी इसी आयु तक बढ़ सकता है।
कंद बढ़ाने के लिए पिट्यूटरी, थाइरॉयड, पेरा-थाइरॉयड ग्रंथियों, स्नायु संस्थान तथा जिगर के प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दें नवीन अनुसंधानों ने यह प्रमाणित किया है कि थाइरॉयड ग्रंथि को सक्रिय करने से युवावस्था तक कद तेजी के साथ बढ़ता है।
कद बढ़ाने के लिए एक्युप्रेशर के अतिरिक्त बच्चों को संतुलित भोजन दें। ऐसे बच्चों को प्रोटीन तत्त्व अधिक चाहिए। दालों, मांस, मछली, अंडों, दूध और दही में प्रोटीन की मात्रा अधिक होती है। हलका व्यायाम, पेड़ या राड के साथ लटकना, रस्सी कूदना, मालिश तथा गूढ़ी नींद भी कद बढ़ाने में सहायता करते हैं। ऐसे बच्चों को टेढ़ामेढ़ा होकर नहीं सोना चाहिए तथा बच्चों को एक साथ एक ही चारपाई पर नहीं अपितु अलग-अलग चारपाई पर सोना चाहिए।
लू लगना | बिजली का झटका लगना | बेहोशी
जब कभी किसी व्यक्ति को ऐसी परिस्थिति में देखें तो डाक्टर तक पहुँचने से पहले तुरंत उसकी नाक के नीचे तथा नाभी चक्र पर (आकृति नं० 6) प्रेशर दें। इन केन्द्रों पर प्रेशर देने से रोगी को केवल प्राथमिक उपचार (First aid) ही नहीं मिलती अपितु बहुत से लोगों को पूर्ण आराम भी आ जाता है।

शराब का अतीव नशा (Hangover ) या किसी दूसरे नशे से बेहोशी
स्वास्थ्य के लिए किसी प्रकार का कोई भी नशा हानिकारक है पर कई बार नशा करने के बाद व्यक्ति की हालत ऐसी हो जाती है कि उसे बिल्कुल होश नहीं रहती, उसकी दशा मृत शरीर की भांति हो जाती है। ऐसी स्थिति में नशा उतारने के लिए उसके नाक पर (on the tip of the nose) प्रेशर देना चाहिए जैसाकि आकृति नं0 7 में दर्शाया गया है।

इसके अतिरिक्त दोनों पैरों के अँगूठों के साथ वाली अँगुली (आकृति नं0 10) पर भी प्रेशर दें।
अगर एक बार प्रेशर देने से नशा न उतरे तो थोड़े-थोड़े समय बाद फिर प्रेशर दें। इससे नशा या तो पूरी तरह उतर जायेगा या फिर काफी कम हो जाएगा।
घबराहट (Suffocation)
घर, बाहर, सफर करते हुए या भीड़ में किसी भी व्यक्ति को किसी समय, किसी कारण थोड़ी से लेकर काफी घबराहट हो सकती है। ऐसे समय प्राथमिक चिकित्सा (first aid) के रूप में दोनों हाथों के ऊपर (जहाँ अँगूठा तथा पहली अँगुली मिलाने पर लाइन (crease) बनती है, उस जगह प्रेशर दें। हाथों के अतिरिक्त दोनों पैरों के ऊपर ( आकृति नं० 8) अँगूठे तथा पहली अँगुली के बीच वाले पहले चैनल में अँगूठे से लगभग 2 सेंटीमीटर के अंतर पर रोगी की सहनशक्ति अनुसार हाथ के अंगूठे के साथ प्रेशर दें ।

सांप द्वारा काटना (Snake Bites)
जहरीले सांप के काटने पर थोड़े समय में ही मृत्यु होने का डर रहता है। ऐसे समय जल्दी से जल्दी डाक्टर तक पहुँचने की कोशिश करनी चाहिए। डाक्टर को बुलाने या हस्पताल पहुँचने के समय तक एक्युप्रेशर द्वारा प्राथमिक चिकित्सा (first aid) दी जा सकती है।

सांप काटे व्यक्ति के दोनों पैरों पर अँगूठे की दिशा वाले टखने से थोड़ा नीचे (hollow space just below the inner ankle) गहरे स्थान पर हाथ के अँगूठे से (आकृति नं0 9) कुछ मिनटों के लिए उतना प्रेशर दें जितना रोगी सहन कर सके। प्रेशर देने के अतिरिक्त डाक्टरी सहायता अवश्य लें ।
घाव जख्म (Wounds-Cuts )
किसी भी व्यक्ति को कोई काम काज करते समय या किसी अन्य परिस्थिति में चोट लगने से मामूली से लेकर बड़ा घाव जख्म हो सकता है। ऐसी स्थिति में डाक्टरी सहायता लेना बहुत आवश्यक होता है। घाव कभी इतना गहरा होता है कि रक्त जल्दी बंद नहीं होता ।

ऐसी स्थिति में डाक्टर तक पहुँचने से पहले एक्युप्रेशर द्वारा प्राथमिक चिकित्सा (first aid) दी जा सकता है। घाव शरीर के किसी भाग में हो, दोनों पैरों के अँगुठों के साथ वाली अँगुली के ऊपर नाखून के पास हाथ के अँगूठे से कुछ मिनटों के लिए प्रेशर देना चाहिए। ऐसा करने से रक्त या तो एकदम बंद हो जाएगा या फिर काफी कम हो जाएगा। घाव का दर्द भी घट जाएगा ।