बवासीर, भगंदर का होम्योपैथिक इलाज

बवासीर, भगंदर का होम्योपैथिक इलाज

बवासीर (PILES)

परिश्रम के चोर, भोग, विलासी, शराबी, कब्ज के रोगी अक्सर बवासीर के शिकार हो जाते हैं। बार-बार जुलाब लेना, रबर के फोम या नरम गद्दी पर बैठना, शौच के समय कांखना, जोर लगाना आदि कारण बवासीर पैदा करते हैं।

बादी बवासीर में मटर जैसे मस्से मल द्वार पर हो जाते हैं, शिराऐं फूल जाती हैं। यह मस्से मल द्वार के अन्दर भी और या बाहर भी हो सकते हैं । जब मस्से फट जाते हैं तो उनसे खून निकलने लगता है ।

1. खूनी या बादी बवासीर की अचूक दवा ।

  • सल्फर 1M, की एक खुराक 1५ दिन में एक बार बाकी दिन नक्स वोमिका 30 दिन में 3 बार

2. जब काले रंग का खून निकले और दर्द बिल्कुल न हो; मलद्वार में तपकन महसूस हो।

  • हेमामैलिस Q, या 30, दिन में 3 बार

3. खूनी बवासीर की रामबाण दवा ।

  • डोलिकोस Q, ५-५ बूंद, दिन में 3 बार

4. चमकीले लाल रंग का खून निकले ।

  • मिलिफोलियम Q, ५-५ बूंद, दिन में 3 बार

5. हर बार पाखाना होने के बाद खून की पिचकारी छूटे ।

  • फॉस्फोरस 30, दिन में 3 बार

6. जब गुदा में तिनके फंसे रहने का एहसास और दर्द हो, अत्यधिक कब्ज हो । कई-कई दिन तक पाखाना न हो ।

  • कौलिन्सोनिया 30 दिन में 3 बार

7. मस्सों में बहुत जलन हो, गर्म पानी से धोने से आराम मिले । बहुत बेचैनी हो ।

  • आर्सेनिक 200, दिन में 2-3 खराक दें

8. जब मस्सों को ठंडे पानी से धोने से आराम मिले ।

  • एपिस 30, दिन में 3 बार

9. जब बवासीर के मस्सों में खड़े रहने या बैठे रहने पर दर्द हो मगर चलने-फिरने से आराम मिले।

  • इग्नेशिया 30, दिन में 3 बार

10. जब मस्सों में खून बहना रूकने के बाद अत्यधिक

दर्द हो ।

  • एसिड नाइट्रिक 1M, हफ्ते में एक खुराक; 3-4 हफ्तों तक दें

मलद्वार का फटना (Fissure in Ano)

सख्त कब्ज़ में जब रोगी मल निष्कासन के लिए जोर लगाए तो गुदाद्वार की झिल्ली फट सकती है। इसके कारण शौच जाने के समय या बाद में बहुत जलन होती है, और पाखाने में खून की लकीर सी दिखती है। बहुत कष्ट होता है, कभी-कभी बेहोशी सी भी हो जाती है।

1. पाखाना जाते समय तथा बाद में अत्यधिक दर्द हो जो घंटों बना रहे। रोगी बेचैनी के कारण टहलता रहता है ।

  • एसिड नाइट्रिक 30, दिन में 3 बार

2. जब दर्द पाखाना आने के पहले थोड़ा कम व पाखाना आने के बाद अधिक हो, आग लगने जैसी जलन हो ।

  • रटेनिया 30, दिन में 3 बार

3. जब सख़्त कब्ज के कारण मल द्वार फट जाए।

  • ग्रेफाइट्स 30, दिन में 3 बार

4. जब खुश्की के कारण मल द्वार साथ ओंठ तथा मुंह के कोर तक भी फट जाएं (आंते भी खुश्क हों) ।

  • नैट्रम म्यूर 6X या 30, दिन में 3 बार

5. जब मल द्वार के फटने से स्राव सा बहता रहे और मलद्वार में कतरने जैसा दर्द हो ।

  • पियोनिया Q या 30, दिन में 3 बार

भगंदर (Fistula in Ano)

मलद्वार के अंदर फोड़ा होकर नासूर हो जाता है; इसे भगंदर कहते हैं। यह सहज में नहीं सूखता ।

1. मलद्वार में खुजली और जलन, पनीला स्राव, पाखाना सख्त, जिसका आधा भाग निकल आने पर फिर वापिस अंदर को खिसक जाए ।

साइलिशिया 30, दिन में 3 बार

2. अंध भगंदर (blind fistula) के लिए अचूक दवा ।

  • सल्फर 30 या 200, दिन में 2 बार

बाहरी प्रयोग के लिए गर्म पानी में लाल दवा डालकर किसी चौड़े बर्तन में बैठकर सेक करने से फायदा होता है । कैलेन्डुला Q और पानी 1 और 10 के अनुपात में मिलाकर मलद्वार को अंदर तक ठीक से धोएं।

कांच निकलना (Prolapsus of Anus)

मलद्वार (anus) से जब बड़ी आंत का निचला भाग मल द्वार से बाहर निकल आता है तो इसे कांच निकलना कहते हैं। यह कभी-कभी स्वयं ही अन्दर चली जाती है, कभी-कभी दबाने से अन्दर जाती है। यह रोग आम तौर पर कमजोर बच्चों को हो जाया करता है।

कारण : बवासीर, कब्ज़, पेचिश, मलद्वार में खुजली, सख्त मल निकालने के लिए जोर लगाना आदि। बच्चों में यह रोग अक्सर हो जाता है। बूढ़ों या गर्भवती महिलाओं को भी हो सकता है।

1. मुख्य दवा; पाख़ाना जाते समय या उसके पहले ही कांच निकल आए।

  • पोडोफाइलम 30 से CM तक

2. जब मलद्वार की संकोचन पेशी शिथिल हो जाने के कारण गुदा बाहर निकल आए। इस शिथिलता के कारण पाख़ाना तक अनजाने में हो जाता है ।

  • एलो 30, बार दिन में 3 बार

3. जब पेशाब करते समय कांच निकलने के साथ पाखाना तक हो जाए।

  • एसिड म्यूर 6 या 30, दिन में 3 बार

4. जब पाखाना जाते समय जरा सा जोर लगाने से ही कांच निकल आए।

  • रूटा 30, दिन में 3 बार

5. गुदा में खुजली के साथ कांच निकलना ।

  • इग्नेशिया 30, दिन में 3 बार

6. गुदा की मांस पेशियों को ताकत देकर रोग ठीक करने के लिए ।

  • कैल्केरिया फ्लोर 12X, दिन में 3 बार

7. बायोकैमिक औषधि

  • फैरम फॉस 6X, दिन में 4 बार

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