सिरदर्द अनिद्रा का एक्युप्रेशर से उपचार

सिरदर्द अनिद्रा का एक्युप्रेशर से उपचार

आज संसार में करोड़ों ऐसे व्यक्ति हैं जो तीव्र सिर दर्द, माइग्रेन तथा अनिद्रा के रोगों से पीड़ित हैं। सबसे दुःखदायी पक्ष यह है कि बहुत सी पद्धतियों में इन रोगों का कोई संतोषजनक इलाज नहीं है। एक्युप्रेशर द्वारा ये रोग केवल कुछ दिनों में ही दूर हो सकते हैं :

तीव्र सिरदर्द माइग्रेन (Severe Headache-Migraine)

तीव्र सिरदर्द तथा माइग्रेन होने के कई कारण हो सकते हैं यथा जिगर तथा पित्ताशय में कोई खराबी, पेट गैस, कब्ज, गर्दन के भाग की रीढ़ की हड्डी में कोई विकार, हाई ब्लड प्रेशर, पुराना जुकाम नज़ला, कान या दाँत दर्द, नसों में खिंचाव, सिर में चोट लगने या ट्यूमर होने, तिल्ली के बढ़ने, मानसिक अशांति, ऋतु के प्रभाव, अधिक गर्मी तथा अधिक हवा लगने, ठंडक से अचानक गर्म कमरे में आने, दिमागी काम अधिक करने, आँखों पर अधिक जोर पड़ने, ज्यादा सोच-विचार तथा चिन्ता में डूबे रहने, अधिक व्यायाम व परिश्रम करने तथा दिन-प्रतिदिन यात्रा करना इत्यादि।

स्त्रियों में यह रोग अधिक देखा गया है। सम्भवतः यह हॉरमोनस की असामानता या प्रजनन अंगों में किसी विकार, मिरगी, हिस्टीरिया तथा पेशाब के किसी रोग के कारण होता है। कई स्त्रियों को मासिकधर्म के कुछ दिन पहले या रजोनिवृत्ति (menopause) की अवस्था में यह दर्द शुरू होता है।

कुछ लोगों को कुछ विशेष वस्तुएँ खाने या पीने से भी माइग्रेन हो जाता है यथा शराब, बियर, बोतल बन्द टण्डे पेय, कॉफी, पनीर, चाकलेट, सोयाबीन, खोया, केला, आलूबुखारा, मांस तथा कई दवाइयां इत्यादि । कई स्त्रियों को गर्भ निरोधक गोलियां खाने, अधिक संभोग करने तथा शारीरिक शक्ति से अधिक कामकाज करने से भी तीव्र सिरदर्द हो जाता है।

तीव्र सिर दर्द तथा माइग्रेन के रोगी को प्रायः ऐसे आभास होता है जैसाकि सिर की नसें धड़क रही हैं तथा आधे या पूरे सिर में काफी दर्द हो रहा है। कई रोगियों को रोग बढ़ने की स्थिति में कभी-कभी आँखों के आगे अंधेरा सा मालूम पड़ता है, दिल घबराता है तथा बार-बार कै करने को मन करता है या कै होती है। कोई भी आवाज बुरी लगती है। किसी से बोलने या कोई भी काम करने को मन नहीं करता। कई व्यक्तियों को माइग्रेन का अटैक कई-कई दिन तक रहता है।

एक्युप्रेशर द्वारा उपचार

तीव्र सिर दर्द तथा माइग्रेन के सारे रोगी एक्युप्रेशर द्वारा कुछ दिनों में ही पूरी तरह टीक हो जाते हैं। कई रोगियों को इन रोगों के होने का कारण पता होता है और कइयों को नहीं । इसलिए अच्छा है कि इन रोगों को दूर करने के लिए पैरों तथा हाथों में सारे प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दें विशेषकर उन केन्द्रों पर जो दबाने से दर्द करें।

इन रोगों को दूर करने के लिए सबसे पहले गर्दन के पीछे (आकृति नं० 1) गर्दन एवं खोपड़ी की मिलन रेखा के स्थान पर प्वाइण्ट नं० 1 से 7 तक, बारी-बारी कुछ सेकंड के लिए हाथ के अंगूठे से प्रेशर दें।

सिरदर्द अनिद्रा का एक्युप्रेशर से उपचार
आकृति नं० 1

उसके बाद गर्दन के ऊपर रीढ़ की हड्डी से थोड़ा डट कर दोनों तरफ, हाथों के अंगूठों या फिर अँगूठे एवं अँगुलियों से प्रत्येक केन्द्र पर कुछ सेकंड के लिए प्रेशर दें। अगर तेज सिर दर्द हो रहा हो तो इन केन्द्रों पर प्रेशर देने से दर्द या तो एकदम दूर हो जाएगा या काफी कम हो जाएगा।

आकृति नं० 2

इसके बाद गर्दन के दोनों तरफ (आकृति नं० 2) ऊपर से नीचे की तरफ हाथ के अंगूठे या अँगुलियों से प्रेशर दें। गर्दन के पीछे तथा गर्दन के दोनों तरफ प्रेशर देने के बाद पैरों तथा हाथों के अंगूठों तथा सारी अँगुलियों के अग्रभागों (आकृति नं० 3) पर प्रेशर दें। ये भाग मस्तिष्क तथा सिर से सम्बन्धित हैं।

आकृति नं० 3

माइग्रेन तथा तीव्र सिरदर्द की स्थिति में सिर में, गर्दन में, माथे में तथा आँखों में एक विचित्र प्रकार का तनाव, भारीपन तथा दर्द रहता है। यह लक्षण दूर करने के लिए पैरों तथा हाथों के अँगूठों तथा सारी अँगुलियों पर ऊपर से नीचे की तरफ चारों तरफ मालिश करनी चाहिए या प्रेशर देना चाहिए।

इसके अतिरिक्त पैरों तथा हाथों के अँगूठों के साथ-साथ, ऊपर तथा नीचे प्रेशर दें क्योंकि ये भाग गर्दन से सम्बन्धित हैं। अगर गर्दन में किसी विकृति के कारण सिरदर्द हो तो अँगूठों के साथ-साथ प्रेशर देने से बहुत जल्दी दूर होता है।

आकृति नं० 4

माइग्रेन तथा तीव्र सिरदर्द को एकदम कम करने तथा दूर करने के लिए पैरों तथा हाथों के ऊपर सारे चैनलस में अँगूठे के साथ (आकृति नं० 4) मालिश की भाँति प्रेशर देना चाहिए। इन रोगों में

आकृति नं० 5

सबसे अधिक प्रभावी केन्द्र दोनों हाथों के ऊपर त्रिकोने स्थान (आकृति नं० 5) पर होता है, जहाँ अँगूठा तथा पहली अँगुली को मिलाने पर लाइन सी (crease) बनती है। इस केन्द्र पर प्रतिदिन दिन में दो-तीन बार, दो से पाँच मिनट तक मालिश की भाँति प्रेशर देने से सिरदर्द तथा माइग्रेन नहीं होते और अगर अटैक की स्थिति में इन केन्द्रों पर प्रेशर दिया जाए तो सिरदर्द बहुत जल्दी दूर हो जाता है या काफी कम हो जाता है।

पेट के रोगों तथा सिरदर्द – माइग्रेन का काफी सम्बन्ध है। कई लोगों को माइग्रेन का अटैक तब होता है जबकि उनका पेट खराब हो। अतः इन रोगों को दूर करने के लिए ऊपर बताई आकृतियों के अनुसार प्रेशर देने के अतिरिक्त पैरों तथा हाथों में जिगर, आमाशय तथा अंतड़ियों के प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर अवश्य प्रेशर देना चाहिए जैसाकि आकृति नं0 6 में दिखाया गया है। इसके अतिरिक्त स्पलीन, गुर्दों तथा ग्रन्थियों के प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए।

आकृति नं० 6

इन रोगों से सम्बन्धित चेहरे पर तथा सिर पर भी कई केन्द्र हैं। अटैक की स्थिति में या वैसे भी प्रतिदिन इन केन्द्रों पर कुछ सेकंड के लिए प्रेशर देना चाहिए। ये केन्द्र हैं- दोनों भौहों के मध्य माथे पर, कानों की तरफ दोनों भौंहों के सिरों पर तथा सिर के मध्य में। इसके अतिरिक्त दोनों भौंहों को अँगूठों तथा अँगुलियों से पकड़ कर धीरे-धीरे कुछ सेकंड के लिए हलका हलका दबाना चाहिए। यह क्रिया स्वयं भी कर सकते हैं या फिर किसी से भी करवा सकते हैं। इस क्रिया से आँखों पर दबाव एकदम दूर या कम हो जाता है।

अगर कान तथा दाँत की कोई बीमारी हो या साइनस व हाई ब्लड प्रेशर का रोग हो तो इनसे सम्बन्धित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर दें। इन रोगों में हाथों तथा पैरों की अँगुलियों पर रबड़ बैंड बाँधने से भी लाभ पहुँचता है। जीभ को मुँह से लगभग आधा इंच बाहर निकाल कर कुछ मिनटों के लिए दाँतों से हलका दबाने से ये रोग दूर करने में सहायता मिलती है। जीभ पर दाँतों से दबाब देने का ढंग आकृति नं0 7 में दिखाया गया है।

आकृति नं० 7

सिर दर्द तथा माइग्रेन से पीड़ित व्यक्तियों को कोई ऐसा भोजन नहीं खाना चाहिए जिससे एलर्जी हो । जहाँ तक हो सके दवाइयों का प्रयोग बन्द कर देना चाहिए। भोजन में ऐसे पदार्थ अधिक लेने चाहिए जिनमें विटामिन ‘डी’ तथा ‘ई’ काफी मात्रा में हों। शराब, चाय तथा कॉफी का प्रयोग बिल्कुल बन्द या बहुत कम कर देना चाहिए। अटैक की स्थिति में जहाँ तक हो सके अंधेरे पर हवादार तथा शाँत कमरे में पर्याप्त आराम करना चाहिए। कई बार स्नान करना तथा खुले वातावरण में सैर करना इस रोग में अच्छा रहता है। घर, दफ्तर तथा व्यापार के काम की व्यवस्था इस प्रकार करनी चाहिए ताकि मानसिक तनाव कम से कम हो।

अनिद्रा (Insomnia)

अनिद्रा स्नायु संस्थान अर्थात नाड़ी-मण्डल का रोग है। शुरू-शुरू में नींद न आना वास्तव में स्वयं रोग नहीं होती अपितु किसी अन्य रोग की लक्षण होती है। अधिक समय तक नींद न आने के कारण यह स्वयं भी रोग बन जाती है और कई अन्य रोगों को भी जन्म देती है। नींद न आना, कम आना या स्वप्नों भरी आना तीनों रोग के लक्षण हैं।

अनिद्रा के कई कारण हैं यथा – दोषपूर्ण खाना-पीना, शारीरिक परिश्रम न करना, अप्राकृतिक रहन-सहन तथा असन्तोष, व्याकुलता, तनावपूर्ण जीवन । नशे वाली वस्तुएँ खाने, कई दवाइयाँ यथा स्टीरोयड खाने, धूम्रपान अधिक करने, दिन में कई बार कॉफी, चाय पीने, ज्यादा घी, मक्खन तथा तेल वाली वस्तुएँ खाने, मांस पदार्थों को बिना अच्छी प्रकार चबाये जल्दी-जल्दी निगल जाने जिससे पाचन खराब हो जाए, भोजन करने के तुरन्त बाद सो जाना, ऐसे वातावरण तथा कारखानों में काम करना जहाँ बहुत ही शोर-शराबा तथा ठक-ठक हो, रात-रात जाग कर काम करना या डयूटी देना, बहुत क्रोध या ईर्ष्या करना तथा ऐसे रोग यथा गठिया, दमा, खाँसी, दतपीड़ा तथा उच्च रक्तचाप जिन में नींद बहुत कम आती हैं या नहीं आती इत्यादि अनिद्रा के प्रमुख कारण हैं ।

एक्युप्रेशर द्वारा अनिद्रा का उपचार

एक्युप्रेशर द्वारा अनिद्रा का रोग केवल कुछ दिनों में ही दूर हो जाता है। यह रोग दूर करने के लिए मस्तिष्क, स्नायुसंस्थान तथा पाचनतंत्र से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए जैसाकि आकृति नं० 1 से 7 में दिखाया गया है।

इसके अतिरिक्त ग्रन्थियों, डायाफ्राम व नाभिचक्र के प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी अवश्य प्रेशर दें क्योंकि ये अंग भी किसी न किसी प्रकार नींद से सम्बन्धित होते हैं। अच्छा तो यह है कि पैरों तथा हाथों पर सब प्रतिबिम्ब केन्द्र पर प्रेशर दें विशेषकर उन केन्द्रों पर जो दबाने से दर्द करें।

गर्दन के पीछे तथा गर्दन के दोनों तरफ प्रेशर देने के साथ-साथ पीठ पर रीढ़ की हड्डी से थोड़ा हट कर ऊपर से नीचे की तरफ हाथ के अँगूठों से तीन बार प्रेशर दें। इस प्रकार प्रेशर देने से स्नायुसंस्थान की क्रिया में सुधार होगा और दवाइयों के बिना प्राकृतिक रूप में प्रतिदिन नींद आना शुरू हो जायेगी।

रात्रि को जब आप सोना चाहें तो पैरों तथा हाथों के अँगूठों व अँगुलियों पर प्रेशर देने के अतिरिक्त पैरों तथा हाथों के ऊपर सारे चैनलस में मालिश करें या प्रेशर दें। इसके अतिरिक्त दायें हाथ की अँगुलियों को बायें हाथ की अँगुलियों में तथा बायें हाथ की अंगुलियों को दायें हाथ की अँगुलियों में फंसा कर बारी-बारी हाथों के ऊपरी भाग की त्वचा को आगे-पीछे खीचें जैसाकि आकृति नं० 8 में दिखाया गया है।

आकृति नं० 8

ऐसा करने से नर्वस सिस्टम (nervous system) तनाव रहित हो जाता है और नींद आ जाती है। हाथों के ऊपर प्लास्टिक की कंघी फेरने से भी शरीर में तनाव कम हो जाता है और कुछ दिनों में ही

नींद का रोग दूर हो जाता है। दोनों बाजुओं की कलाई पर अनिद्रा दूर करने का एक प्रभावी केन्द्र है जैसाकि आकृति नं० 9 से स्पष्ट है । इस केन्द्र पर भी प्रतिदिन कुछ सेकंड के लिए प्रेशर देना चाहिए।

आकृति नं० 9

पेट पर प्रेशर देने से भी अनिद्रा का रोग दूर करने में सहायता मिलती है।

अनिद्रा रोग से छुटकारा पाने के लिये एक्युप्रेशर के साथ कुछ मूलभूत प्राकृतिक नियमों को अवश्य अपनाना चाहिये जैसाकि रात्रि को जल्दी सोने तथा सवेरे जल्दी उठने का नियम बनायें, दिन में सोने की कोशिश न करें, नींद की गोलियां न खायें तथा शरीर को टेढ़ा-मेढ़ा करके नहीं लेटें। बिस्तर साफ-सुथरा होना चाहिये। रात्रि का खाना सोने से दो – तीन घंटे पहले लेना चाहिये तथा पेट भर न खायें। खाने के बाद थोड़ी देर टहलना चाहिये।

भोजन में मिर्च मसालों का कम से कम प्रयोग तथा भोजन में फल, दूध तथा साग-सब्जियाँ अधिक होने चाहिये। बीड़ी, सिगरेट तथा शराब पीना या तो छोड़ दें या बिल्कुल कम कर दें तथा सोने से पहले चाय, कॉफी या पानी न लें अपितु कम मीठे वाला एक गिलास दूध लें। अधिक नमक का प्रयोग भी अनिद्रा करता है, अतः ऐसे रोगियों को नमक कम खाना चाहिये।

सायंकाल को कुछ हलका मनोरंजन अवश्य करें जिससे शरीर का तनाव कम हो जाये। जो लोग दिमागी काम करते हैं उन्हें थोड़ा व्यायाम करना चाहिए। सोने और उठने का एक निश्चित समय रखें ।

सोने से पहले हाथों, पैरों तथा चेहरे को ठंडे पानी से धोयें। सोने की तैयारी में बिस्तर पर लेट कर अपने शरीर को बिल्कुल ढीला छोड़ दें। पैरों से लेकर सिर तक बारी-बारी प्रत्येक अंग का मुँह में नाम लेकर उसे आदेश दें कि वह ढीला हो जाये और सो जाये। यह एक मनोवैज्ञानिक तथ्य है जिससे स्नायु-जाल में ढीलापन आने से नींद जाती है

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