रूटा ग्रेवियोलेन्स | Ruta Graveolens
कण्ठमालापरक अध्यस्थिता (Scrofulous edosfosis); अस्थियों एवं अस्थ्यावरण के नील एवं अन्य यांत्रिक क्षतिग्रस्ततायें मोच अस्थ्यावरणशोथ; विसर्प, अस्थिभंग, और विशेष रूप से अस्थियों की स्थानच्युति (सिम्फा) ।
सारे शरीर में कुचलन और खंजता की अनुभूति, जैसे गिर जाने अथवा किसी चोट के कारण होती है; हाथ-पैरों और सन्धियों में अधिक (आर्नि) ।
शरीर के जिस भाग का सहारा लेकर लेटता है उसी में दर्द होने लगता जैसे कुचला गया हो (बैप्टी, पाइरो) । बेचन, जब लेटा रहता है तो करवटें बदलता रहता है(रस) ।
मोच आने के बाद खंजता, विशेष रूप से कलाइयों और टखनों की (पुरानी मोचें – बोवि, स्ट्रोंशि) ।
वक्ष में किसी प्रकार की यांत्रिक चोट लगने के बाद यक्ष्मा रोग (मिलिफो) ।
आंखों के ऊपर कसक और पीड़ा; साथ ही धुंधली दृष्टि, जैसे उन पर बहुत जोर पड़ा हो। सूक्ष्म कार्य करने, घड़ी बनाने, पत्थरों पर बारीक खुदाई करने में आंखों को काम में लाने के बाद (नेट-म्यूरि), ध्याननिमग्न देखने पर (सेन्ना) ।
धूमिल अथवा क्षीण दृष्टि – आंखों का अधिक उपयोग करने अथवा उनमें प्रकाश की किरणें तिरछी पड़ने से अनुपयुक्त प्रकाश में आंखों का उपयोग करने से सिलाई का महीना काम करने तथा रात को अधिक पढ़ने से; धुंधली, मन्द दृष्टि, साथ ही थोड़ी दूर की वस्तु देखने में पूर्णतया अक्षम । नेत्रों में जलन, कसक के साथ पीड़ा होती है, लगता है जैसे उन पर बहुत दबाव पड़ा हो; गर्म आग के गोलों जैसी; निचली पलकों की ऐंठन ।
मलबद्धता – आन्तों की निष्क्रियता से अथवा यांत्रिक क्षतिग्रस्तताओं के बाद मलद्वार में अवरोध पैदा होने से (आर्निका) । मनांत्र की स्थानभ्युति, मलत्याग की चेष्टा करने पर तुरन्त; जरा सा झुकने से प्रसव के बाद, मलत्याग की निरन्तर एवं निष्फल इच्छा।
मूत्राशय के अन्दर ऐसा दबाव जैसे पूरा भरा हुआ हो; मूत्रत्याग के बाद भी यह अनुभूति निरन्तर बनी रहती है; मूत्रावेग के कारण मूत्र बिल्कुल नहीं रोक सका, यदि उसी समय मूत्रत्याग नहीं किया गया तो बाद में बहुत कठिनाई हुई अल्प मात्रा में हरा मूत्र; निरंकुश ।
मस्से – साथ ही दाहक पीड़ा; चपटे, हथेलियों पर कोमल (नेट-कार्बो,नेट्र- म्यूरि, हाथ के पिछले भाग में – डल्का) ।
पृष्ठवेदना, पीठ का सहारा लेकर लेटने से आराम ।
सम्बन्ध –
- आर्निका, आर्जे-नाइ, कोनि, यूफ्रे, फाइटो, रस, सिम्फा से तुलना कीजिये ।
- अनिका के बाद यह औषधि सन्धियों में रोगनिवारक प्रक्रिया को तेज करती हैं; अस्थियों की क्षतिग्रस्तताओं में सिम्फाइटम के बाद ।