एक्यूप्रैशर चिकित्सा

हृदय तथा रक्त संचार के रोग

हृदय तथा रक्त संचार के रोग हृदय का रूप तथा कार्य हृदय लचीली मांसपेशियों से बना अत्यन्त ही कोमल, लाल रंग के थैले जैसा, चार खण्डों वाला अंग है जो दोनों फेफड़ों के मध्य, वक्ष के बायीं तरफ तीसरी से छठी पसली के बीच होता है। इसका आकार स्वस्थ व्यक्ति की अपनी बंद मुट्ठी के […]

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अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ और उनका प्रभाव

अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियाँ और उनका प्रभाव हमारे शरीर में दो प्रकार की ग्रन्थियाँ हैं – एक वे हैं जो अपने में बनने वाले रस को नलिकाओं द्वारा शरीर के विशेष भागों तक पहुँचाती हैं और दूसरी वे हैं जो अपना विलक्षण रस नलिकाओं द्वारा नहीं अपितु सीधा रक्त द्वारा शरीर के विभिन्न आंतरिक अंगों तक पहुँचाती

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शियाटिका का एक्यूप्रेशर उपचार

शियाटिका का एक्यूप्रेशर उपचार शियाटिक वातनाड़ी (sciatic nerve) मेरुरज्जु (spinal cord) से निकल कर नितम्ब और टाँग के जिस भाग से गुजर कर पाँव में पहुँचती है, उस भाग में इस नाड़ी से सम्बन्धित जो दर्द उठता है उसे शियाटिका (sciatica) कहते हैं। शियाटिका दर्द काफी असहनीय होता है। शियाटिक वातनाड़ी हमारे शरीर के बात

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गर्दन, कन्धे, पीठ, पैर का दर्द का एक्यूप्रेशर उपचार

गर्दन, कन्धे, पीठ, पैर का दर्द का एक्यूप्रेशर उपचार संसार के समस्त देशों में तीस पैंतीस वर्ष से ऊपर की आयु के अधिकांश स्त्री-पुरुषों को प्रायः गर्दन, कन्धे, बाजू या पीठ में दर्द हो जाता है। एक सर्वेक्षण के अनुसार अमरीका तथा स्वीडन जैसे विकसित देशों में लगभग 80 प्रतिशत लोग अपने जीवन काल में

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मुँह तथा गले के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार

मुँह तथा गले के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार टान्सिल-प्रदाह (tonsillitis) मुँह में गले के प्रारम्भ में जहाँ ग्रासनली और श्वासनली स्थित हैं, वहाँ दोनों तरफ दो ग्रन्थियाँ होती है जिन्हें टान्सिल (tonsils) कहते हैं। गले के ऊपर की तरफ श्वास नली के मार्ग में स्थित इसी तरह की ग्रन्थियों को अडीनोयड (adenoids) या फेरिंजियल

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नाक के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार

नाक के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार पुराना जुकाम-नज़ला, साइनसाइटिस, नकसीर, हे फीवर (Chronic Head Colds, Acute Sinusitis, Epistaxis, Hay Fever) नाक की बीमारियों में जुकाम-नज़ला, साइनस की सूजन या पीव आना, नकसीर (nose bleed, epistaxis) तथा हे फीवर आदि प्रमुख हैं । जुकाम-नज़ला अर्थात् नाक से रेशा बहने का कारण सर्दी लगना, सर्दी के

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कानों के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार

कानों के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार कान हमारी महत्त्वपूर्ण ज्ञानेन्द्रियाँ हैं जिनका कार्य ध्वनि ज्ञान अर्थात् सुनने की क्रिया है। इसलिए कानों को श्रवणेन्द्रियों का नाम दिया गया है। आवाज का बोध कराने के अतिरिक्त कान मनुष्य की गति अर्थात् चाल को वश में रखने और शरीर की समतुल्यता जिसे साधारणतः संतुलन कह सकते

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आँखों के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार

आँखों के रोगों का एक्युप्रेशर से उपचार ज्ञानेद्रियों आँख, कान, नाक, जिह्वा और त्वचा में आँखों का सर्वोच्च स्थान है क्योंकि आँखों की ज्योति के बिना जीवन कष्टकर बन जाता है अतः आँखों को प्रत्येक आयु में पूर्ण रूप से स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। आँखों की बनावट नेत्र आकृति में जितने ही छोटे हैं

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शरीर के एक्युप्रेशर केन्द्र

शरीर के एक्युप्रेशर केन्द्र लम्बाई के रुख में शरीर के दस समानान्तर भाग चिकित्सकों ने काफी अध्ययन और खोज के बाद सारे शरीर को लम्बाई के रुख में 10 समानान्तर भागों में बाँटा है जिसे ‘जोन थिरैपी’ (Zone Therapy) या ‘ज़ोन थियूरी’ (Zone Theory) कहते हैं। इस थिरैपी के अनुसार 5 भाग दायीं तरफ तथा

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एक्युप्रेशर चिकित्सा के सिद्धांत एवं कार्यप्रणाली

एक्युप्रेशर चिकित्सा के सिद्धांत एवं कार्यप्रणाली कोई भी व्यक्ति अस्वस्थ नहीं रहना चाहता पर सोचने की बात यह है कि मनुष्य रोगी क्यों होता है? रोग होने के दो प्रमुख कारण हैं पहली अवस्था में मनुष्य अपनी लापरवाही, गलत रहन-सहन, अस्वच्छता, असंतुलित आहार, हानिकारक पदार्थों का सेवन, चिंता, मानसिक तनाव तथा व्यायाम हीनता के कारण

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