शरीर के एक्युप्रेशर केन्द्र

शरीर के एक्युप्रेशर केन्द्र

लम्बाई के रुख में शरीर के दस समानान्तर भाग

चिकित्सकों ने काफी अध्ययन और खोज के बाद सारे शरीर को लम्बाई के रुख में 10 समानान्तर भागों में बाँटा है जिसे ‘जोन थिरैपी’ (Zone Therapy) या ‘ज़ोन थियूरी’ (Zone Theory) कहते हैं। इस थिरैपी के अनुसार 5 भाग दायीं तरफ तथा 5 भाग बायीं तरफ होते हैं अर्थात अगर हाथों और पैरों की अँगुलियों को आधार मान कर शरीर को 10 समानान्तर भागों में बाँटा जाए तो जो अंग जिस क्षेत्र (जोन) में पड़ते हैं उनसे सम्बन्धित प्रतिबिम्ब केन्द्र तलवों तथा हथेलियों में उसी क्षेत्र में होंगे जैसाकि इस आकृति में दिखाया गया है।

आकृति नं० 1

वस्तुतः ‘जोन थिरैपी’ ही एक्युप्रेशर चिकित्सा पद्धति का मुख्य आधार है। इस सिद्धांत के अनुसार प्रतिबिम्ब केन्द्रों कह जाँच कर लेने के बाद नियमित रूप से प्रेशर देनें से विभिन्न रोग बहुत जल्दी दूर हो जाते हैं ।

चौड़ाई के रुख में शरीर के तीन भाग

एक्युप्रेशर द्वारा इलाज के लिए चिकित्सकों ने मानव शरीर को लम्बाई की भाँति चौड़ाई के रुख में भी बाँटा है। लम्बाई के रुख में जबकि शरीर को 10 भागों में बाँटा गया है, चौड़ाई के रुख में इसको तीन भागों में बाँटा गया है जिसे ट्रॉसवर्स ज़ोनस (transverse zones of the body) कहते हैं। प्रतिबिम्ब केन्द्रों की पहचान करने के लिए शरीर के भागों के अनुरूप ही हाथों तथा पैरों को भी तीन भागों में बाँटा गया है जैसाकि आकृति नं० 2 में दिखाया गया है।

आकृति नं० 2

चौड़ाई के सिद्धांत के अनुसार पहले भाग में सिर तथा गर्दन में स्थित विभिन्न अंगों के प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं अर्थात हाथों तथा पैरों की अँगुलियों तथा हाथों तथा पैरों के बिल्कुल ऊपरी भाग में इन अंगों के केन्द्र हैं।

दूसरे भाग में उन अंगों के प्रतिबिम्ब केन्द्र हैं जोकि छाती के भाग में स्थित हैं अर्थात डायाफ्राम (diaphragm ) से ऊपरी भाग में तीसरे भाग में वे केन्द्र आते हैं जोकि पेट, पेट से नीचे के भाग, टाँगों तथा पैरों से सम्बन्धित हैं।

लम्बाई तथा चौड़ाई के सिद्धांत को सामने रखकर कोई भी व्यक्ति हाथों तथा पैरों में विभिन्न अंगों के प्रतिबिम्ब केन्द्र बड़ी आसानी से ढूँढ सकता है। इसी सिद्धांत अनुरूप पैरों तथा हाथों के ऊपरी भाग को भी बाँटा गया है जैसाकि आकृति नं० 3 तथा 4 में दिखाया गया है।

आकृति नं० 3
आकृति नं० 4
शरीर के एक्युप्रेशर केन्द्र
आकृति नं० 5
शरीर के एक्युप्रेशर केन्द्र
आकृति नं० 6

(क) चेहरे पर बिभिन्न एकयुप्रेशर केंद्र

रोग के अनुसार प्रत्येक केन्द्र पर हाथ के अँगूठे या हाथ की अँगुली से 5 से 7 सेकंड तक, तीन बार हलका पर गहरा प्रेशर दें।

1. मासिकधर्म विकार (menstrual troubles)

2, 4, 8, 9, 13 तथा 14 नज़ला सिर का भारीपन (catarrh headcold)

3. पेडू-कोख विकार (pelvis troubles)

5. सिर दर्द, चक्कर आना (headache, giddiness)

6. तथा 16. तीव्र सिर दर्द (severe headache)

7 तथा 15 निद्रा-विघ्न (sleep disturbances) तथा पक्षाघात (paralysis)

10 रजोनिवृत्ति के रोग (menopause complaints)

11. गला, खाँसी, साँस लेने में कठिनाई तथा दमा (throat, cough, dyspnea and asthma)

12. दाँत का दर्द (tooth-ache)

(ख) चेहरे पर बिभिन्न एकयुप्रेशर केंद्र

1. बवासीर, मूत्राशय के रोग, सोये हुए पेशाब निकल जाना।

2. दो-दो वस्तुएँ दिखना (double vision-diplopia)

3 तथा 21 मस्तिष्क के रोग, नजला-जुकाम, अनिद्रा ।

4 तथा 20 शियाटिका, मस्तिष्क, जिगर तथा पित्ताशय के रोग ।

5. आँखों के रोग (बायीं तरफ भी इसी स्थान पर ) ।

6, 14, 15 तथा 19 आँखों के रोग ।

7. कानों में कई तरह की आवाजे सुनना ।

8 तथा 10 पक्षाघात – लकवा, मानसिक तनाव ।

9 तथा 17 दाँतों का दर्द ।

11 नाक में रुकावट, नाक का बहना (बायीं तरफ भी इसी स्थान पर)

12. पक्षाघात – लकवा, छींके आना, बेहोशी, मिरगी ।

13 तथा 16 दाँत दर्द, मानसिक तनाव ।

18 हाई ब्लड प्रेशर, बाजू की जकड़न तथा दर्द ।

22 आँखों, टाँगों तथा आमाशय के रोग ।

(ग) चेहरे पर बिभिन्न एकयुप्रेशर केंद्र

1 स्मरण शक्ति

2 शियाटिका

3 तथा 25 गैस

4 जिगर के रोग

5 खून का दौरा

6 तथा 24 गलगण्ड (goiter)

7 पक्षाघात – लकवा

8. गुर्दों के रोग

9, 14 तथा 22 कब्ज

10 तथा 21 अंतड़ियों के रोग

11 अग्न्याशय (pancreas) के रोग

12 तथा 13 दायाँ फेफड़ा से सम्बन्धित रोग

15 तथा 18 लिंग उत्तेजना (sex-stimulation)

16 तथा 17 पेट (abdomen) के विकार

19 तथा 20 बायाँ फेफड़ा से सम्बन्धित रोग

23 गुर्दों के रोग

26 प्लीहा (spleen) के रोग

27 हृदय के रोग

28 शियाटिका

29 तेज सिर दर्द

30 प्रजनन अंग (reproductive organs) से सम्बन्धित रोग

31. सिर दर्द

कानों पर विभिन्न एक्युप्रेशर केन्द्र

1. टान्सिल                              2. एपेंडिक्स (appendix )

3. एड़ी                           4. घुटने का जोड़

5. उच्च रक्तचाप         6. दमा

7. नितम्ब (hip)           8. शियाटिक वातनाड़ी

9. कुल्हा (buttock)       10. मूत्राशय

11. गवीनी (ureter)      12. गुर्दा

13. बड़ी आँत                14. मलाशय (rectum)

15. छोटी आंत               16. आमाशय

17. श्वास प्रणाल (bronchus )

18. फेफड़ा                     19. फेफड़ा

20. उच्च रक्तचाप       21. नाक का भीतरी भाग

22. आँख                                  23. आँख

24. डिम्बग्रन्थि (ovary)       25. आँख

26. कान का भीतरी भाग

27. ऊपरी जबाड़ा                             28. निचला जबाड़ा

29. फेफड़ा                               30. अण्डकोष (testis)

31. दमा                                   32. मस्तिष्क

33. दाँत दर्द                           34. जिगर

35. प्लीहा (spleen)

36. I) अग्न्याशय (pancreas)

II) पित्ताशय (gallbladder)

37. गर्दन                                 38. कन्धे का जोड़

39. कन्धा                               40. पेट (abdomen)

41. कुहनी (elbow)                 42. घुटना

43. नितम्ब का जोड़ (hip joint)

कानों पर दिए विभिन्न प्वाइण्टस से सम्बंधित अंग तथा रोग जिगर, पित्ताशय तथा एपेंडिक्स के केन्द्र केवल दायें कान पर हैं जबकि प्लीहा (spleen) का केन्द्र केवल बायें कान पर है।

समय : प्रत्येक केन्द्र पर रोगी की सहनशक्ति अनुसार आधा मिनट से दो मिनट तक हाथ के अँगूठे या अँगुली के साथ गोलाकार स्थिति में दिन में एक या दो बार प्रेशर दिया जा सकता है। प्रेशर देते समय केवल अँगूठा या अँगुली ही हिलायें, कान नहीं। गर्भवती स्त्रियों तथा गम्भीर हृदय रोग के रोगियों के कानों पर प्रेशर नहीं देना चाहिए ।

पहचान : रोगी अंगों से सम्बंधित कानों पर एक्युप्रेशर केन्द्र प्रायः दूसरे भागों की अपेक्षा दबाने पर अधिक दर्द करते हैं, कानों पर ये भाग प्रायः थोड़े सूजे हुए, पीले, हलके लाल या सफेद रंग जैसे या इन भागों पर कभी-कभी फुंसियां भी होती हैं।

जावन शक्ति

मनुष्य का शरीर एक अद्भुत मशीन ही नहीं एक अनुपम शक्ति का विशाल भंडार है। यह शक्ति प्रतिदिन, प्रतिक्षण उपयोग होती

है, नष्ट होती है और शरीर से बाहर भी निकलती रहती है जिसे हम ‘लीकज़’ कह सकते हैं। इस ‘लीकज़’ के कारण मनुष्य बीमार भी जल्दी पड़ता है तथा बुढ़ापा भी जल्दी आता है। इस ‘लीकज़’ को रोकने का शरीर में एक ही केन्द्र है दायीं बाजू पर कलाई एवं कुहनी के मध्य भाग में लगभग एक इंच का क्षेत्र । इस केन्द्र पर प्रतिदिन सवेरे लगभग एक मिनट तक अंगूठे से प्रेशर देने से स्त्री-पुरुष अपनी जीवन शक्ति को काफी लम्बे समय तक बचा कर रख सकते हैं।

मूर्च्छा हटाओ केन्द्र

किसी समय, किसी भी व्यक्ति को, किसी भी कारण मूर्च्छा पड़ सकती है। ऐसी स्थिति में एकदम बारी-बारी दोनों हाथों की अंतिम दो अंगुलियों पर मालिश की भाँति प्रेशर देना चाहिए। मूर्च्छित व्यक्ति को एकदम होश आ जायेगी। होश आने पर उसे पानी पिलाकर कुछ समय के लिए लिटा देना चाहिए।

सांकेतिक दर्द क्षेत्र (Referral Pain Points)

एक्यूप्रेशर की यह सबसे विचित्र विशेषता है कि दर्द वाले भाग को छूये बिना उसके समानान्तर शरीर पर दूसरे सम्बन्धित भाग पर प्रेशर देकर दर्द दूर किया जा सकता है। इस विधि को सांकेतिक दर्द क्षेत्र कहते हैं ।

दर्द निवारण के इस सिद्धांत अनुसार दायें या बायें पैर पर जिस भाग में दर्द है उसका दायें या बायें हाथ पर सांकेतिक दर्द केन्द्र ढूंढ कर उस पर प्रेशर देने से दर्द दूर किया जा सकता है। इस विधि का विस्तार सहित वर्णन आगे किया जायेगा।

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