कमजोरी | मोटापा का एक्युप्रेशर से उपचार

कमजोरी | मोटापा का एक्युप्रेशर से उपचार

वजन सम्बन्धी दो प्रमुख समस्याएँ हैं वजन में वृद्धि अर्थात मोटापा (weight- gain-obesity) तथा वजन कम होना (weight loss ) – यह दोनों स्थितियाँ किन्ही विशिष्ट कारणों के फलस्वरूप होती हैं तथा अनेक रोगों का कारण बन जाती हैं।

वजन में वृद्धि मोटापा (Weight Gain Obesity)

पैतृक होने के अतिरिक्त मोटापा आने के कई अन्य कारण भी हैं अधिक कैलोरी वाले भोजन खाने लेकिन शारीरिक काम न करने, ग्रन्थियों द्वारा अपना कार्य ठीक प्रकार न करने, स्त्रियों की स्थिति में प्रसव के बाद या अधिक बच्चों को जन्म देने, कुछ मनोवैज्ञानिक कारणों तथा कई बीमारियों की वहज से वजन बढ़ने लगता है मोटापा प्रायः 20 से 50 वर्ष की आयु में आता है।

मोटापे का अभिप्राय शरीर में चर्बी बढ़ जाना है – If you eat more than you need for the energy you expend, your body stores the surplus as fat. And if the fatty tissues become conspicuous, you may be considered ‘obese’.

मोटापा शरीर को बेडौल बनाता ही है साथ में अनेक रोगों को भी आमंत्रित करता है यथा हाई ब्लड प्रेशर, हर्ट अटैक, हृदय के कई अन्य रोग, गुर्दों के कई रोग, पित्ताशय की पथरियाँ, रीढ़ की हड्डी तथा जोड़ों के रोग, मधुमेह तथा वृद्धावस्था ।

मोटापा दूर करने के लिए सबसे जरूरी यह है कि अपने आहार की ओर विशेष ध्यान दिया जाए। वसा तथा कार्बोहाइड्रेट वाले पदार्थों का कम सेवन करना चाहिए। घी, मक्खन, तले हुए पदार्थ, चाकलेट, पेय पदार्थ (soft drinks), शराब, बीअर, अधिक मीठे फल यथा अँगूर, आम, केला, मेवे यथा अखरोट, किशमिश तथा सब्जियाँ जैसे आलू, अरबी, शकरकंदी व चुकंदर नहीं खाने चाहिए।

वजन घटाने के लिए कई लोग भूखा रहना शुरू कर देते हैं, यह ठीक नहीं क्योंकि उससे शरीर में काफी कमजोरी आ जाती है जो स्वयं एक रोग है। वजन घटाने के लिए डाइटिंग

का यह अभिप्राय नहीं कि आप भूखे रहें अपितु यह है कि ऐसा भोजन लें जिसमें कैलोरी कम हों ताकि शरीर उनका भलीभाँत उपयोग कर ले। नाश्ता तथा दोपहर का खाना ठीक लें ताकि सारा दिन काम करने की शक्ति प्राप्त हो पर रात्रि का भोजन भूख से कम लें। खाना घी में नहीं अपितु सूरजमुखी के तेल आदि में बनायें। पेट भरने के लिए उबली हुई सब्ज़ियाँ या कच्ची सब्जियाँ यथा सलाद आदि काफी खायें क्योंकि उनमें कैलोरी कम होती हैं। नमक का प्रयोग बहुत कम करें क्योंकि अधिक नमक खाने से शरीर में पानी की मात्रा बढ़ जाती है जिससे शरीर फूल जाता है। चीनी शक्तिवर्धक है पर बहुत जल्दी वजन बढ़ाती है, अतः चीनी का प्रयोग केवल नाममात्र करें।

वजन कम करने के लिए बिना चीनी के नींबू पानी या हलके गर्म पानी में थोड़ा सा शहद डाल कर पीना गुणकारी है। वजन घटाने के उद्देश्य से तथा अन्यथा भी भोजन या कोई अन्य वस्तु बार-बार नहीं अपितु समय पर खायें। अगर भूख नहीं तो बिल्कुल न खायें भोजन को भली भाँति चबा कर धीरे-धीरे खाना चाहिए। भोजन को अधिक न पकायें। प्रतिदिन 10 से 15 गिलास पानी पीयें पर खाने के साथ पानी नहीं पीना चाहिए।

पानी भोजन से आधा या एक घंटा पहले या एक घंटा बाद में लें। रात्रि का खाना सोने से दो-तीन घंटे पहले खायें। जब उत्तेजित हों या मानसिक रूप से परेशान हो तब खाना न लें, शांतचित हो कर खाना खायें मोटापा दूर करने के लिए भरपूर नींद (sound sleep) लेना भी बहुत गुणकारी है। सप्ताह में एक दिन उपवास रखना भी अच्छा है।

हलकी कसरत, तेज सैर करना, तेल की मालिश करना, साइकल चलाना, डांस करना तथा कमरे के अन्दर नंगे पाँव एक ही स्थान पर जहाँ तक घुटना ऊपर उठ सके ( पहले एक फिर दूसरा) उठा कर चलने की भाँति व्यायाम करना इत्यादि मोटापा दूर करने में काफी सहायक होते हैं। कुर्सी या पलंग पर बैठ कर बिजली का बाइब्रेटर (electric vibrator) शरीर के उन भागों पर घुमायें जो चर्बी मोटापे का केन्द्र होते हैं।

ये केन्द्र मुख्यतः बाजू, पेट, नितम्ब (hips), घुटने का पीछे का भाग तथा टाँगों का पीछे का भाग होता है। इन अंगों की चर्बी शल्यपद्वति- लाइपोसक्शन से दूर की जाने लगी है। पर यह क्रिया काफी जटिल, लम्बी तथा मंहगी है, साथ में यह आवश्यक नहीं कि भविष्य में फिर वजन नहीं बढ़ेगा। जहाँ तक हो सके भोजन तथा प्राकृतिक पद्धति यथा एक्युप्रेशर द्वारा वजन कम करना चाहिए।

आदर्श वजन कितना होना चाहिए इस सम्बन्ध में चिकित्सकों ने पुरुषों तथा स्त्रियों का आदर्श वजन जानने का एक आसान फार्मूला निकाला है। पुरुष की जितनी लम्बाई सेंटीमीटर में हो उसको 0.358 से गुणा करने पर आदर्श वजन किलोग्राम में निकल आएगा। उसी प्रकार स्त्री की जितनी लम्बाई सेंटीमीटर में हो उसको 0.313 से गुणा करें, वही उसका आदर्श वजन किलोग्राम में होना चाहिए। आदर्श वजन इसलिये भी आवश्यक है क्योंकि इससे आयु में वृद्धि होती है तथा शरीर में स्फूर्ति रहती है।

एक्युप्रेशर द्वारा वजन कम करने के लिए पैरों तथा हाथों में पिट्यूटरी, थाइरॉयड, पैराथाइरॉयड, आड्रेनल ग्रंथियों, जिगर, आमाशय, अंतड़ियों तथा गुर्दों सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए। इन केन्द्रों की पैरों तथा हाथों में स्थिति आकृति नं0 1 तथा आकृति नं० 2 में दिखाई गई। है।

आकृति नं० 1
आकृति नं० 2

स्त्रियों के प्रजननों अंगों का क्योंकि वजन के बढ़ने तथा घटने से काफी सम्बन्ध होता है इसलिए गर्भाशय, डिम्ब ग्रंथियों तथा गर्भाशय नलिकाओं से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी अवश्य प्रेशर देना चाहिए।

इसके अतिरिक्त पीठ तथा टाँगों के पीछे व पेट पर भी कुछ विशेष केन्द्रों पर प्रेशर देने से वजन घटता है। इन केन्द्रों की स्थिति तथा इन पर प्रेशर देने का ढंग आकृति नं० 3 में दिखाया गया है ।

आकृति नं० 3

दाहिने कंधे के मध्य भाग में प्रेशर देने से भूख अधिक नहीं लगती जिससे वजन कम करने में सहायता मिलती है। इस केन्द्र पर हाथ के अँगूठे या अँगुली के साथ दिन में दो बार लगभग आधा मिनट तक प्रेशर देना चाहिए। प्रेशर किसी से भी दिलवा सकते हैं तथा स्वयं भी दे सकते हैं।

कमजोरी | मोटापा का एक्युप्रेशर से उपचार
आकृति नं० 4

समुचित आहार तथा एक्युप्रेशर द्वारा प्रतिमास लगभग दो-तीन किलोग्राम वजन घटाया जा सकता है। दो महीने में एक बार अवश्य अपना वजन करें तथा उसका रिकार्ड रखें। अगर महीने – दो महीने में कुछ वजन कम न हो तो निराश न हों, आगामी कुछ दिनों में जरूर कम होगा। भूखे रह कर केवल कुछ दिनों में अधिक वजन कम करना ठीक नहीं, उससे लाभ की बजाय नुकसान ही होता है।

वजन कम होना (Weight Loss)

पतला होना बुरा नहीं पर बहुत पतला होना चिंताजनक है। अधिक पतले व्यक्ति में रोग की प्रतिरोध शक्ति बहुत कम होती है और अगर जीवन में सर्जरी की आवश्यकता पड़े तो उसे सहन कर पाना उसके लिए कठिन होता है। बहुत पतली औरतों को मासिकधर्म के दिनों में रक्त जाने से काफी कमजोरी आ जाती है, ऐसी कई औरतों को मासिकधर्म ठीक भी नहीं आता तथा कई गर्भ भी धारण नहीं कर पाती। लगातार पतले रहने के कारण कई लोगों को डिप्रेशन भी हो जाता है। बाकी सब योग्यता पूरी करने के बावजूद ऐसे व्यक्ति कई विशेष व्यवसायों में नहीं जा पाते ।

अगर किसी व्यक्ति को नींद पूरी आती है, सवेरे उठते समय ताजगी अनुभव होती है, सीढ़ियाँ चढ़ते समय थकावट नहीं होती तथा कोई वजन उठा कर चलने में साँस नहीं फूलता तो उसका पतला होना कोई रोग नहीं क्योंकि उसमें शारीरिक शक्ति पूरी है इतना अवश्य है कि कुछ पतले लोगों का व्यक्तित्व आकर्षक नहीं होता।

आदर्श वजन से कम वजन होना भी एक समस्या है वजन कम होने या निरंतर घटने के कई कारण हो सकते हैं। कम वजन होना पैतृक भी हो सकता है तथा किसी एक या अनेक रोगों के कारण भी हो सकता है।

कुछ लोगों का रहन-सहन तथा खाने की आदतें (lifestyle and food habits) इस प्रकार होती हैं कि उनका शरीर पतला ही रहता है। भागदौड़ की जिंदगी के कारण जो लोग आराम से तथा धीरे से, समय पर भर पेट खाना नहीं खाते, अधिक काम की वजह से कभी खा लिया, कभी न खाया या वजन बढ़ने के डर से भूख से भी कम खाने, शारीरिक आवश्यकता से कम खाने जिसके कारण शरीर में संचित शक्ति खर्च होने लगती है, अधिक चाय, कॉफी तथा सिगरेट पीने जिससे भूख मर जाती है तथा कुछ पौष्टिक आहार यथा दूध, पनीर, मक्खन, घी व दालें न पचा सकने के कारण शरीर का पूरी तरह विकास नहीं होता ।

कई लोग भर पेट पौष्टिक आहार तो खाते हैं पर उनको खाया पीया बिल्कुल नहीं लगता। ऐसा पैतृक होने के अतिरिक्त खाने का पाचन ठीक प्रकार नहीं होता। कई बीमारियों यथा पाचनतंत्र की किसी बीमारी, जिगर, आमाशय तथा अंतड़ियों में कोई विकार, अलसर, पेट में कीड़े, रक्तहीनता, बार-बार बुखार होने, पूरी नींद न आने, डिप्रेशन तथा मधुमेह रोग के कारण भी वजन नहीं बढ़ता। थाइरॉयड ग्रन्थि में कोई विकार विशेषकर थाइरॉयड ग्रन्थि के अतिखाय (hypersecretion) के कारण भी वजन घटना शुरू हो जाता है। तपेदिक का रोग भी इसका कारण हो सकता है।

रोग उपचार

वजन घटाने की तरह वजन बढ़ाने के लिए व्यायाम बहुत जरूरी है। पतले व्यक्तियों को शारीरिक शक्ति के अनुसार प्रतिदिन व्यायाम करना चाहिए जिससे भूख अधिक लगेगी। पौष्टिक आहार खाने से वजन बढ़ेगा। तेज चलना, दौड़ना, साइकिल चलाना तथा तैरना ऐसे व्यक्तियों के लिए बहुत अच्छा है। दिन में दो बार, भर पेट खाने की बजाय ऐसे लोगों को दिन में तीन या चार बार कुछ खाना चाहिए।

यह आवश्यक नहीं कि अधिक वसा वाला तथा मीट, मछली व अंडों युक्त भोजन लें, पर इतना जरूर है कि पौष्टिक आहार हो। मेवे तथा मीठे फल लें पर टिन बंद पदार्थ न लें क्योंकि उससे भूख घटती है। चाय, काफी, पेय पदार्थ (soft drinks ) तथा सिगरेट आदि न लें। अगर कोई रोग है तो उसका किसी योग्य डाक्टर से इलाज करवायें या एक्युप्रेशर द्वारा इलाज करें।

एक्युप्रेशर द्वारा वजन बढ़ाने के लिए पैरों तथा हाथों में पिट्यूटरी, थाइरॉयड तथा पैराथइरॉयड ग्रन्थियों, जिगर, आमाशय, अंतड़ियों तथा गुर्दों से सम्बन्धित प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दें। इसके अतिरिक्त पैरों तथा हाथों में सारे प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देकर देखें, जो केन्द्र दबाने से दर्द करें उन पर नियमित रूप से प्रेशर दें।

अगर कुछ महीनों में सब कुछ करने के बाद भी आप का वजन न बढ़े तो निराश होने की आवश्यकता नहीं, हो सकता है वही आपका आदर्श वजन हो। व्यायाम तथा एक्युप्रेशर जारी रखें इससे आप के शरीर में कमजोरी नहीं आयेगी और आपको जीवन में किसी प्रकार की निराशा नहीं देखनी पड़ेगी।

Leave a Comment

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Scroll to Top