एक्युप्रेशर से पुरुषों रोगों का उपचार
स्त्रियों की अपेक्षा पुरुषों के उत्पादक अंगों के बहुत कम रोग हैं। छूत के रोगों को छोड़कर पुरुषों के लगभग सारे रोग एक्युप्रेशर द्वारा दूर किए जा सकते हैं। इतना अवश्य है कि कई ऐसे जन्मगत विकार होते हैं जो किसी भी चिकित्सा पद्वति द्वारा ठीक होने योग्य नहीं होते । पुरुषों के सेक्स से सम्बन्धित जो आम रोग हैं उनके दो ही प्रमुख कारण हैं – शारीरिक (physical) तथा मनोवैज्ञानिक (psychological) समस्याएँ ।
इन्हीं दो कारणों के फलस्वरूप कुछ रोग आदिकाल से कई पुरुषों के वैवाहिक जीवन में सुख की अनुभूति को धूमिल कर रहे हैं। कुछ जन्मगत विकारों को छोड़ कर शारीरिक तथा मनोवैज्ञानिक त्रुटियाँ दूर करके वैवाहिक जीवन को सुखमय बनाया जा सकता है ! पुरुषों के सेक्स सम्बन्धी जो आम रोग हैं, वे इस प्रकार हैं :-
1. नपुंसकता – नामर्दी (Impotence the inability in a man to achieve an erection adequate for sexual intercourse) : पुरुषों का एक आम रोग है। सेक्सोलॉजिस्टस के आँकड़ों अनुसार 40 वर्ष की ऊपर के प्रत्येक तीन व्यक्तियों में से एक व्यक्ति को नपुंसकता का रोग है। इसके कई कारण हैं यथा दिमागी बोझ, थकावट, लम्बी बीमारी, शराब का अधिक सेवन, रीढ़ की हड्डी का कोई रोग, थकावट तथा कुछ सख्त दवाइयों का कुप्रभाव इत्यादि ।
इस रोग में संभोग के समय पुरुष के लिंग में पर्याप्त कठोरता नहीं आती और अगर कठोरता आ भी जाए तो शीघ्र नर्मी आ जाती है जिससे संभोग की क्रिया आनन्द प्रदान करने की बजाए उदासी में बदल जाती है। नपुंसक पुरुष बहुधा संभोग करने से जी कतराते हैं और सन्तान उत्पन्न नहीं कर पाते इस रोग का प्रमुख कारण मानसिक परेशानी होती है। लिंग शास्त्रियों का यह कहना है कि अगर ऐसे व्यक्तियों के लिंग में दिन में कई बार तनाव आ सकता है तो स्त्री के पास जाने के समय क्यों नहीं आता।
2. शीघ्र पतन (Premature ejaculation): संभोग की क्रिया करते समय पुरुष का वीर्य जल्दी खारिज हो जाना, शीघ्र पतन का रोग कहलाता है। शीघ्र पतन भी दो प्रकार का होता है।
- संभोग की क्रिया शुरू करने से पहले स्त्री को छूने मात्र से ही वीर्य खारिज हो जाना जिसे ejaculation ante portas कहते हैं तथा
- संभोग की क्रिया शुरू करते ही शीघ्र वीर्य खारिज हो जाना जिसे ejaculation post portas कहते हैं।
इस रोग से जहाँ पुरुष में निराशा आती है वहाँ स्त्री की सेक्स में रुचि समाप्त हो जाती है। यह रोग अधिकतर स्नायुसंस्थान (nervous system) में किसी खराबी तथा मनोवैज्ञानिक कारणों के फलस्वरूप होता है।
3. अनैच्छिक वीर्यपात (spermatorrhea – abnormal involuntary discharge of semen without orgasm): अर्थात औरत के संसर्ग के बगैर वीर्यपात हो जाना। यह रोग अधिकतर नवयुवकों को होता है।
4. शुक्रमेह अर्थात मूत्र से पहले, मूत्र के बाद या मूत्र के साथ वीर्य खारिज होना।
5. उत्पादन क्षमता हीनता (sterility in men ) : कई पुरुष सामान्य रूप से संभोग तो कर लेते हैं पर उनके वीर्य में गर्भाधान उत्पादक क्षमता नहीं होती जिस कारण वे सन्तान उत्पन्न नहीं कर पाते ।
6. संभोग प्रति उदासीनता (loss of sexual desire ) : कई पुरुषों में किन्हीं मनोवैज्ञानिक तथा शरीरिक कारणों के फलस्वरूप संभोग करने की इच्छा नहीं होती या फिर वे संभोग से कतराते रहते हैं।
7. पुरःस्थ ग्रन्थि का बढ़ जाना (enlarged prostate gland)
8. अण्डकोषों के रोग (diseases of testis) : पुरुषों के अण्डकोषों के भी कई रोग होते हैं यथा अण्डकोषों में सूजन, अण्डकोषों में दर्द तथा अण्डकोषों में पानी भर जाना इत्यादि । पुरुषों के अण्डकोष जिस थैली में होते हैं, उस थैली में एक तरल पदार्थ सा भर जाता है। यह रोग वृद्ध व्यक्तियों में अधिक देखा गया है और बहुधा गलत खान-पीन, किन्हीं दूसरे रोगों तथा अप्राकृतिक यौन क्रीड़ा के कारण होता है।
डाक्टरी सहायता के साथ एक्युप्रेशर इसे पूरी तरह दूर करने में सहायता कर सकता है। ऐसे रोगी को अपने भोजन की ओर विशेष ध्यान देना चाहिए तथा कुछ दिनों तक ताजे फलों तथा बिल्कुल हलके भोजन पर रहना चाहिए।
एक्युप्रेशर से पुरुषों रोगों का उपचार
ऊपर जितने भी रोगों का वर्णन किया गया है तथा पुरुषों के कई दूसरे रोग एक्युप्रेशर द्वारा दूर किए जा सकते हैं।

सबसे पहले गर्दन के पीछे मध्य भाग में हाथ के अंगूठे के साथ कुछ सेकंड के लिए प्रेशर ( आकृति नं० 1) देने के बाद पैरों तथा हाथों के अंगूठों तथा सारी अँगुलियों के अग्रभागों ( tips) पर मस्तिष्क सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर ( आकृति नं० 2) प्रेशर देना चाहिए । यह इस लिए आवश्यक है क्योंकि पुरुषों के यौन सम्बन्धी बहुत से रोगों का कारण मनोवैज्ञानिक होता है और उसके लिए मानसिक शक्ति को प्रबल बनाना बहुत जरूरी है। जहाँ तक हो सके मानसिक परेशानियों को दूर करने का भी प्रयत्न करना चाहिए।


पुरुष रोगों में पिट्यूटरी, थाइरॉयड तथा पैरा-थाइरॉयड ग्रंथियों के केन्द्रों (आकृति नं० 3) पर भी प्रेशर देना बहुत जरूरी है। इन रोगों को जल्दी दूर करने के लिए हृदय, जिगर तथा गुर्दों को अधिक सशक्त बनाने की जरूरत होती है, अतः इनके प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए ।


पुरुष रोगों को दूर करने तथा यौन शक्ति बढ़ाने के लिए यह आवश्यक है कि नियमित रूप से पुरःस्थ ग्रन्थि, शिश्न व अण्डकोषों के प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर दिया जाए। पुरःस्थ ग्रन्थि तथा शिश सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्र दोनों पैरों के अँगूठों की तरफ वाले टखनों (ankles) से थोड़ा नीचे अर्थात ख एवं एड़ी के मध्य वाले भाग में होते हैं जैसाकि आकृति नं० 5 में दिखाया गया है।
इसके अतिरिक्त टाँगों पर एड़ी तथा उससे थोड़ा सा ऊपरी भाग में भी पुरःस्थ ग्रन्थि सम्बन्धी के बाजुओं के अग्रिम भागों पर भी अँगूठे की दिशा में (आकृति नं० 6) पुरःस्थ ग्रंथि तथा शिश्न सम्बन्धी केन्द्र हैं।

अण्डकोषों सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्र दोनों पैरों की सबसे छोटी अँगुली की तरफ वाले टखनों ( ankles ) से थोड़ा नीचे अर्थात टखने एवं एड़ी के मध्य भाग में होते हैं । दोनों हाथों की कलाई पर भी छोटी अँगुली की दिशा में अण्डकोषों सम्बन्धी केन्द्र हैं जैसाकि आकृति नं० 6 में दिखाया गया है।
पुरुषों के यौन सम्बन्धी विभिन्न रोगों को दूर करने तथा यौनशक्ति बढ़ाने के लिए एक्युप्रेशर चिकित्सकों ने कई अन्य प्रतिबिम्ब केन्द्र भी निर्धारित किए हैं जिनके नतीजे बहुत अच्छे मिले हैं। उपरोक्त बताए सारे प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देने के अतिरिक्त इन केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए।

दोनों हाथों के ऊपर उस स्थान पर प्रेशर देना चाहिए जहाँ त्रिकोण (web of thumb) बनता है। ये केन्द्र शीघ्र पतन (premature ejaculation) का रोग दूर करने के लिए बहुत प्रभावी हैं। इन केन्द्रों पर दिन में दो-तीन बार प्रेशर देना चाहिए। प्रेशर इतना होना चाहिए जितना रोगी आसानी से सह सके।
प्रत्येक तरह के पुरुष रोगों को दूर करने के लिए पीठ के निचले भाग में रीढ़ की हड्डी के बीच वाले स्थानों (recesses between the vertebrae) पर ऊपर से नीचे की तरफ (आकृति नं0 8) हाथों के अँगूठों के साथ तीन बार प्रेशर दें । प्रत्येक केन्द्र पर प्रतिबार लगभग 3 सेकंड तक प्रेशर दें। रीढ़ की हड्डी के ऊपर प्रेशर न दें।

रीढ़ की हड्डी के बीच वाले स्थानों पर प्रेशर देने के बाद रीढ़ की हड्डी के दोनों ओर विशेष कर पीठ के निचले भाग पर ऊपर से नीचे की तरफ हाथों के अँगूटों के साथ प्रेशर दें। प्रत्येक केन्द्र पर लगभग 3 सेकंड तक प्रेशर दें।
यौन शक्ति बढ़ाने के लिए पेट पर कई प्वाइन्टस हैं । इन केन्द्रों पर हाथों की अँगुलियों के साथ प्रत्येक प्वाइण्ट पर लगभग 3 सेकंड तक प्रेशर दे प्रेशर देने का एक चक्कर पूरा करने के बाद, दो बार फिर, अर्थात प्रत्येक केन्द्र पर तीन बार प्रेशर दें।

पुरुषों के अनेक रोग दूर करने तथा यौन शक्ति बढ़ाने के लिए जाँघों के भीतरी भाग पर बिल्कुल मध्य में ( आकृति नं0 9), थोड़ी-थोड़ी दूरी पर एक हाथ या दोनों हाथों के अंगूठों से रोगी की सहनशक्ति अनुसार प्रेशर दें। कुर्सी या चारपाई पर बैठकर इन केन्द्रों पर स्वयं भी बड़ी आसानी से प्रेशर दिया जा सकता है।
लिंग की कमजोरी तथा नपुंसकता (male erection weakness) दूर करने के लिए टाँगों के ऊपरी तथा नीचे के भाग में भीतरी तरफ बिल्कुल मध्य स्थान में एक विशेष केन्द्र होता है । दोनों केन्द्रों पर तीन बार, 3 सेकंड प्रति बार, हाथ के अँगूठे के साथ प्रेशर दें। इन केन्द्रों पर प्रेशर स्वयं भी दिया जा सकता है।
गर्दन के दोनों ओर ऊपर से नीचे की तरफ प्रेशर देने से यीन सम्बन्धी अनेक रोग दूर होकर यौनशक्ति में वृद्धि होती है। दोनों हाथों के अँगूठों के साथ ऊपर नीचे की ओर गर्दन के इन केन्द्रों पर प्रेशर बड़ी आसानी से दिया जा सकता है। प्रत्येक केन्द्र र लगभग तीन सेकंड तक, तीन बार प्रेशर दें।
हाथों के ऊपरी भाग जहाँ हाथ तथा कलाई परस्पर मिलते हैं, प्रेशर देने से पीठ का निचला भाग मज़बूत होता है। पीठ का यह भाग सशक्त होने से जहाँ पुरुषों के कई रोग दूर होते हैं वहाँ लैंगिक शक्ति बढ़ जाती है। लिंग के बिल्कुल नीचे मध्य भाग में हाथ के अंगूठे के साथ 3 सेकंड के लिए 3 बार हलका सा प्रेशर दें। इस केन्द्र पर प्रेशर देने से नपुंसकता शीघ्र दूर होती है ।
अच्छे शहद में एक प्याज (विशेष कर सफेद प्याज का रस मिलाकर प्रतिदिन चाटने से भी नपुंसकता दूर करने में काफी सहायता मिलती है। इससे काम इच्छा भी जागृत होती है। कच्चा लहसुन भी पुरुष रोगों में बहुत लाभकारी है। लहसुन खाने से नपुंसकता दूर होती है तथा संभोग की शक्ति बढ़ती है। अच्छा रहेगा अगर प्रातः निराहार लहसुन की तीन-चार कलियाँ छील कर खाई जाएँ या फिर भोजन के साथ तीन-चार कलियाँ खाई जाएँ। लहसुन नपुंसकता तथा अनेक यौन सम्बन्धी रोगों को दूर करता है। एक चम्मच शहद, आधा उबला हुआ अंडा तथा कुछ गाजर दिन में एक बार लगभग दो महीने तक खाने से कामशक्ति बढ़ती है।
नपुंसकता तथा अनेक यौन रोगों को दूर करने के लिए बॉयोकेमिक कम्बीनेशन नं० 27 एक अच्छी औषधि है। इस औषधि की चार-चार टिकियाँ दिन में चार बार लेनी चाहिए। यह औषधि होम्योपैथिक कैमिस्ट से मिलती है। यह आवश्यक नहीं कि एक्युप्रेशर के साथ इनमें से कोई वस्तु प्रतिदिन ली जाये धैर्य तथा विश्वास के साथ एक्युप्रेशर द्वारा ऊपर वर्णित पुरुषों के सारे रोग दूर किये जा सकते हैं ।
यौन शक्ति बढ़ाने तथा वैवाहिक आनंद लेने के लिए यह जरूरी है कि प्रतिदिन संतुलित आहार लें, हलका व्यायाम तथा नियमित रूप से सैर करें शराब, तम्बाकू, सिगरेट तथा हर प्रकार के नशे से दूर रहें क्योंकि ये धन तथा स्वास्थ्य दोनों की हानि करते हैं। चिंता को त्याग कर जीवन में विश्वास एवं आशा प्रज्वलित करके प्रत्येक चुनौती का साहस से मुकाबला करें। केवल उतना काम करें जितना आपका शरीर इजाजत देता है।
काम करने के साथ मनोरंजन के लिए भी समय निकालें क्योंकि बिना मनोरंजन के सेक्स के लिए इच्छा जागृत नहीं होती । रतिक्रिया में कभी भी जल्दबाजी न करें क्योंकि इससे शीघ्र पतन होकर पति-पत्नी दोनों को निराशा होती है। पुरुषों के बहुत से रोगों का कारण मनोवैज्ञानिक होता है, अतः पत्नी को चाहिए कि पति का हमेशा मनोबल बढ़ाये।