शियाटिका का एक्यूप्रेशर उपचार
शियाटिक वातनाड़ी (sciatic nerve) मेरुरज्जु (spinal cord) से निकल कर नितम्ब और टाँग के जिस भाग से गुजर कर पाँव में पहुँचती है, उस भाग में इस नाड़ी से सम्बन्धित जो दर्द उठता है उसे शियाटिका (sciatica) कहते हैं। शियाटिका दर्द काफी असहनीय होता है।
शियाटिक वातनाड़ी हमारे शरीर के बात संस्थान (nervous system) की प्रमुख नाड़ी है जो पीठ में मेरुरज्जु (spinal cord) से चौथे और पाँचवे लम्बर (4th and 5th lumbar) तथा पहले, दूसरे तथा तीसरे सैकरल (1st, 2nd and 3rd sacral) से पाँच जड़ों (roots) से निकलती है। मेरुरज्जु (spinal cord) से शुरू होकर शियाटिक वातनाड़ी नितम्ब (back of thigh) पार करती हुई टाँग के ऊपरी हिस्से में पीछे से होती हुई, घुटने से थोड़ा पहले दो भागों में विभक्त होकर टाँग के पीछे के भाग और भीतरी भाग से गुजरती हुई टखनों (ankles) के पास से पाँव पहुँचती है जैसाकि आकृति नं० 1 में दिखाया गया है। यह शरीर में सबसे चौड़ी और लम्बी बातनाड़ी है। मेरुरज्जु से निकलते समय इसकी चौड़ाई लगभग 2 सेंटीमीटर होती हैं।

यहाँ यह समझ लेना भी आवश्यक है कि मेरुरज्ज् (spinal cord) शरीर में केन्द्रीय वात संस्थान (central nervous system) का प्रमुख हिस्सा है जोकि सिर से निकल कर पीठ के निचले भाग में पहले लम्बर (1st lumber) तक जाती है, जहाँ से फिर यह एक दुम का आकार सा लेती है। एक व्यस्क व्यक्ति में यह लगभग 12 इंच लम्बी होती है और रीढ़ की हड्डी (vertebral column) में सुरक्षित रहती है।
रज्जु से थोड़ी-थोड़ी दूरी पर वातनाड़ियों के 31 जोड़े (thirty-one pairs of nerves) निकलते हैं जो इस प्रकार हैं:- 8 जोड़े सरवाइकल नर्वस (8 pairs of cervical nerves), 12 जोड़े थोरेसिक नर्वस (12 pairs of thoracic nerves), 5 जोड़े लम्बर नर्वस (5 pairs of lumbar nerves), 5 जोड़े सैक्रल नर्वस (5 pairs of sacral nerves) तथा 1 जोड़ा कोक्सिजियल नर्वस (one pair of coccygeal nerves).
रोग के कारण
ग्रासेट एण्ड इण्लप, न्यूयार्क (Grosset & Dunlap, New York) द्वारा प्रकाशित Dictionary of Symptoms में शियाटिका (sciatica) के निम्नलिखित लक्षण बताए गए हैं :-
A particular kind of pain in the leg associated with disease or injury of the intervertebral disc. It is usually felt as a pain which runs down the leg, beginning in the buttock and traveling down the back of the thigh and the outside of the leg below the knee. It may even reach as far as the ankle and foot. Some loss of feeling and the numbness may be found also.
The pain and loss of feeling can be traced to the nerves trapped by the collapse of the disc at the point where they exit from the spinal cord. Backache is often present at the same time as sciatica-and for the same reason. When sciatica is present, the area of nerve root pressure will be in the lumbar region at the bottom of the spine.
शियाटिका दर्द होने के अनेक कारण हो सकते हैं, जैसे रीढ़ की हड्डी के लम्बर भाग (lumbar region) में हड्डियों की विकृत रचना (malformation of lumbar roots), इस भाग की हड्डियों में कोई विकार आ जाना यथा prolapsed intervertebral disc या नीचे खिसक कर सैक्रम ( sacrum) भाग पर आ जाना, गठिया, रीढ़ की हड्डी के पास किसी प्रकार का कोई फोड़ा, गिल्टी या रसौली हो जाना (inter spinal tumour), रीढ़ की हड्डी के किसी भाग विशेषकर लम्बर भाग (lumbar region) की हड्डियों में सूजन (osteomyelitis) हो जाना, नितम्ब की हड्डी या पेट के निचले भाग के किसी अंग में सूजन आ जाना विशेष कर मसाने की ग्रन्थि (prostate gland) का बढ़ जाना या मूत्राशय (bladder), गर्भाशय (uterus) तथा डिम्बग्रन्थि (ovary) के रोग भी इसका कारण हो सकते हैं कोलन (colon) में किसी खराबी तथा पुरानी कब्ज के कारण भी यह रोग हो जाता है।
शरीर के किसी भाग जोकि शियाटिक नस के साथ सम्बन्धित है या शियाटिक नस में सूजन हो जाए, झटका लगे, वजन उठाने या चोट पहुँचे तो भी शियाटिका दर्द हो जाता है। मधुमेह (diabetes) रोग तथा विटामिनों की कमी की स्थिति में शियाटिका दर्द बढ़ जाता है। इसके अतिरिक्त कई लोगों को बाजू वा जाँघों (thigh) पर चोट लगने या जाँघों व बाजू की हड्डी टूट जाने पर भी उसी समय या थोड़े दिनों बाद शियाटिका दर्द हो जाता है।
यदि गुर्दे (kidneys) सिस्टम से यूरिक एसिड (uric acid) अलग करना बंद कर दें तो भी लम्बर भाग (lumbar region) में दर्द शुरु हो जाता है जिसे लम्बैगो (lumbago) कहते हैं। क्योंकि शियाटिका दर्द प्रायः लम्बर भाग में केन्द्रित होता है और लम्बैगो (lumbago) का दर्द भी लम्बर भाग में, इसलिए पाँव में शियाटिका से सम्बन्धित केन्द्रों पर प्रेशर देते समय गुर्दों (kidneys) से सम्बन्धित केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए, या इतना अवश्य निशचित कर लेना चाहिए कि क्या दर्द गुर्दों की वजह से है या शियाटिक वातनाड़ी के कारण ।
रोग के लक्षण
शियाटिका दर्द कितना असहनीय होता है, यह वही व्यक्ति बता सकता है जिसको यह दर्द है। मामूली पीड़ा से लेकर काँटों की चुभन तथा तलवार से काटने समान तेज दर्द होता है। दर्द पीठ के निचले भाग से शुरू होकर, नितम्ब तथा टाँग से गुजरता हुआ पैर तक पहुँचता है। यह दर्द अधिकतर एक टाँग में और वह भी प्रायः टाँग के बाहरी भाग की तरफ अनुभव होता है। जिन लोगों को शियाटिका दर्द बार-बार होता है उनको प्रायः ठंडे मौसम तथा दाहिनी टाँग में होता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि ठंड के कारण टाँग की मांसपेशियाँ कुछ सिकुड़ जाती हैं।
शियाटिका का रोगी बेशक पूर्ण स्वस्थ हो पर दर्द के कारण उसके लिए चलना, उठना, बैठना, लेटना, करवट लेना, सोना, गाड़ी चलाना तथा सीढ़ियाँ चढ़ना इत्यादि कठिन एवं कष्टकर हो जाता है। ऐसा भी होता है कि कई रोगी कुछ कदम तो आसानी से चल लेते हैं पर थोड़ी दूर जाने पर उनकी टाँगे एकदम जवाब दे देती हैं, कमर एकाएक टेढ़ी होने लगती है और तेज दर्द शुरू हो जाता है।
कई रोगियों को सीधा लेटने पर कुछ आराम मिलता है पर कइयों से सीधा लेटा भी नहीं जाता। अगर कठिनाई से लेट भी जायें तो आसानी से उठा नहीं जाता। छींकने, खाँसने तथा लम्बा साँस लेने से दर्द बढ़ जाता है। टॉंग काफी भारी तथा कई रोगियों को सुन्न प्रतीत होती है। सवेरे उठते समय एक या दोनों टाँगों में काफी भारीपन प्रतीत होता है। शियाटिका के अनेक रोगियों का इलाज करते समय मैने देखा है कि बहुत से ऐसे रोगियों का पेट काफी तना रहता है या भारी होता है।
बहुत लोगों को एक बार शियाटिका दर्द होने के बाद पुनः नहीं होता पर कई लोगों को कुछ महीनों या कुछ वर्षों बाद फिर हो जाता है। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि कुछ लोग उठने बैठने, सोने तथा बोझ उठाते समय यह बिल्कुल ध्यान नहीं करते कि इनमें से कोई भी काम गलत ढंग से करने से यह दर्द पुनः भी हो सकता है।
शियाटिका से सम्बन्धित प्रमुख प्रतिबिम्ब केन्द्र
एक्युप्रेशर द्वारा शियाटिका रोग केवल कुछ दिनों में ही दूर हो जाता है। शियाटिका के अधिकतर रोगियों को पहली बार प्रेशर देने से ही दर्द काफी कम हो जाता है। इस रोग को दूर करने के लिए सबसे पहले यह जान लेना जरूरी है कि शियाटिका दर्द लम्बर की विकृति, जाँघ या बाजू की चोट, शियाटिक वातनाड़ी में किसी विकार या फिर किसी अन्य कारण हुआ है।
अगर रीढ़ की हड्डी के लम्बर तथा सैक्रम हिस्से में अधिक विकृति न हो तो एक से तीन सप्ताह में पूरा आराम आ जाता है वरना कुछ अधिक समय लग सकता है। इतना अवश्य है कि दर्द तथा जकड़न दिन प्रतिदिन कम होते जायेंगे।
सैकड़ो रोगियों का इलाज करते हुए मैने देखा है कि प्रोलैप्स डिस्क के रोगी तो ठीक होने में अधिक समय नहीं लेते पर बलजिंग डिस्क (bulging disc) के रोगी पूरा ठीक होने में कुछ अधिक समय ही लेते हैं यथा एक से तीन महीने तक ।

शियाटिका रोग को दूर करने के लिए पैरों में लम्बर (lumbar), सैक्रम ( sacrum), गुर्दों (kidneys) तथा मूत्राशय (bladder) सम्बन्धी प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देना चाहिए। इन केन्द्रों की पैरों में स्थिति आकृति नं० 2 में दर्शायी गई है। इस आकृति के चैनल नं०1 में दर्शाये प्वाइण्टस शियाटिका के प्रमुख प्रतिबिम्ब केन्द्र हैं। तलवे में जिस स्थान से एड़ी का भाग शुरू होता है, उस स्थान या उसके आसपास ही ये केन्द्र होते हैं ।
रोग को शीघ्र तथा पूरी तरह दूर करने के लिए इस आकृति में दर्शाये सारे काले निशानों तथा अंकित निशानों पर प्रेशर दिया जाये चाहे वे दबाने से दर्द करें या न करें। तलवे के ये भाग क्योंकि कुछ सख्त होते हैं इसलिए अच्छा तो यह है कि इन भागों पर सख्त रबड़, प्लास्टिक या लकड़ी के किसी गोल मुलायम उपकरण के साथ प्रेशर दिया जाये।
पैरों की सारी अँगुलियों विशेष कर अँगूठों के साथ वाली दो अँगुलियों पर मालिश की भाँति प्रेशर देने से पीठ तथा टाँग का दर्द एकदम काफी कम हो जाता है।
इस रोग के प्रमुख केन्द्रों में एक केन्द्र बाहरी टखने के (आकृति नं० 3) बिल्कुल नीचे होता है। यह केन्द्र बहुत ही नाजुक होता है अतः इस पर प्रेशर कुछ सेकंड के लिए रोगी की सहनशक्ति अनुसार देना चाहिए। अच्छा रहेगा अगर टखने के साथ-साथ सारे हिस्से पर प्रेशर दिया जाये।

पैरों व हाथों के ऊपर चौथे चैनल (आकृति नं० 4) में प्रेशर देने से भी शियाटिका दर्द दूर करने में सहायता मिलती है।

हथेलियों के निचले भाग (आकृति नं० 5) तथा हाथों के ऊपर अँगूठे तथा पहली अँगुली के पास ( आकृति नं० 6) प्रेशर देना भी शियाटिका में काफी लाभकारी रहता है।


इस रोग में नितम्बों के साथ तथा टाँगों के पीछे विशेषकर पिण्डलियों के मध्य भाग में हाथों के अंगूठों के साथ प्रेशर देने से दर्द बहुत जल्दी दूर हो जाता है।

प्रत्येक केन्द्र पर रोगी की सहनशक्ति अनुसार कुछ सेकंड से लेकर एक-दो मिनट तक प्रेशर दे सकते हैं। इन केन्द्रों की स्थिति तथा इन पर प्रेशर देने का ढंग आकृति नं० 7 में दिखाया गया है। करवट के बल लेटकर हाथ टाँग पर रखें।
अँगूठे से दूसरी अँगुली टाँग के ऊपरी भाग को जहाँ छूयेगी, उस भाग पर हाथ के अँगूठे से गहरा प्रेशर दें। शियाटिका से सम्बन्धित यह एक विशेष केन्द्र हैं (आकृति नं० 8)।


शियाटिका से सम्बन्धित टाँग के बाहरी भाग (आकृति नं० 9) पर भी चार प्रतिबिम्ब केन्द्र होते हैं। रोगी को भूमि या लकड़ी के तख्ते वाली चारपाई पर एक तरफ (one sided) लिटा कर एक या दोनों हाथों के अँगूठों के साथ नीचे की ओर जोर से लगभग आधा मिनट या कुछ अधिक समय तक तीन बार प्रेशर देने से कई रोगियों को दर्द से एकदम आराम मिल जाता है ।

नितम्ब वाले केन्द्र पर अँगूठे की बजाए कुहनी या रबड़ के किसी गोल उपकरण से भी रोगी की सहनशक्ति अनुसार प्रेशर दिया जा सकता है। कुहनी के साथ प्रेशर देने का ढंग आकृति नं० 10 में दर्शाया गया है।
सहायक प्रतिबिम्ब केन्द्र
ऊपर बताये एक या एक से अधिक प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर प्रेशर देने से शियाटिका रोग दूर हो जाता है। इन केन्द्रों के अतिरिक्त कुछ अन्य केन्द्र भी हैं जोकि यह रोग दूर करने में सहायक हो सकते हैं। इस रोग में पेट के प्वाइण्टस, टाँग के भीतरी भाग तथा कानों पर प्रेशर देने से भी कई लोगों को काफी फायदा होता है। कलाई के अग्रिम भाग (उपर तथा हथेलियों की दिशा में) पर भी प्रेशर देना चाहिए ।
पीठ पर रीढ़ की हड्डी से थोड़ा हट कर प्रेशर देने से (आकृति नं० 7) अधिकतर रोगियों को काफी आराम मिलता है। इन केंन्द्रों पर प्रेशर देने से अगर किसी रोगी का दर्द बढ़े तो उसे पीठ पर प्रेशर न दें।
दोनों भौहों के बिल्कुल नीचे (beneath both eyebrows) भी शियाटिका सम्बन्धी एक-एक केन्द्र होता है। हाथों के अँगूठों से भौंहो के नीचे हलका सा प्रेशर देकर देखें, जिस केन्द्र पर कुछ अधिक दर्द हो, वही इस रोग से सम्बन्धित केन्द्र है। इन केन्द्रों पर कुछ सेकंड के लिए हलका सा प्रेशर दें ।
अगर पुरःस्थ ग्रन्थि बढ़ने ( enlargement of prostate gland), मधुमेह (diabetes), गर्भाशय ( uterus) या डिम्बग्रन्थियों (ovaries) का कोई रोग हो तो इन रोगों से सम्बन्धित विभिन्न प्रतिबिम्ब केन्द्रों पर भी प्रेशर देना चाहिए, इस रोग में बॉयोकम्बीनेशन नं० 19 या विटामिन ‘सी’ लेना काफी लाभकारी रहता है।