कान के रोगों का होम्योपैथी इलाज

कान के रोगों का होम्योपैथी इलाज

कान में दर्द (Otalgia)

सर्दी लगने, कान में सूजन हो जाने, चोट लगने, कान में अधिक मैल हो जाने, या कान में फुन्सी हो जाने की वजह से कान में दर्द होता है। सूजन हो जाती है।

1. जब अचानक ठंड लगने से दर्द हो ।

  • एकोनाइट 30, हर 2 घंटे बाद

2. असह्य कान दर्द जो गर्म सेक से बढ़ता है ।

  • कैमोमिला 30, हर 2 घंटे बाद

3. दर्द अचानक शुरू हो व कान में कील सी गड़ने का आभास हो ।

  • बैलाडोना 30 हर 2-3 घंटे बाद

4. कान में फुन्सी हो व कान का परदा फट गया हो; कान से स्राव आए जिसमें खट्टी बदबू आये

  • हिपर सल्फ 30, दिन में 3 बार

5. कान में मुल्लियन ऑयल (Mullein Oil Drops) डालने से फायदा होता है।

कान बहना (Otorrhoea)

यह बीमारी प्रायः कई कारणों से होती है जैसे कान में सूजन, खसरे के बाद, आदि ।

1. जब रोगी ठंड के प्रति संवेदनशील हो। पुराने मर्ज में। (कान का पर्दा फटने पर भी फायदा करती है)

  • साइलिशिया 12X या 30, दिन में 3 बार

2. गाढ़ा पीला स्राव; रोगी को खुली ठंडी हवा अच्छी लगे।

  • पल्साटिला 30, दिन में. 3 बार

3. जब ठंड से तकलीफ बढ़े; जिस तरफ कान में पीड़ा ज़्यादा हो उस तरफ लेटा भी न जाए।

  • हिपर सल्फ 30, दिन में 3 बार

4. कान से बदबूदार स्राव आए; जब दूसरी दवाओं से फायदा न हो ।

  • सोराइनम 200 या 1M, 15-20 दिन में एक बार

5. जब स्राव चिपचिपा हो ।

  • काली बाई 30, दिन में 3 बार

बहरापन या कम सुनना (Deafness)

ऊँचा सुनने के कई कारण हो सकते हैं जैसे सर्दी लगना, माथे पर चोट लगना, कान पकना, कान में मैल जम जाना, बहुत लंबे समय तक बीमार रहना आदि । जन्म से बहरेपन का कोई इलाज नहीं है। (आजकल लगातार शोरगुल भी ऊँचा सुनने का एक मुख्य कारण है) ।

1. चेचक के बाद या जुकाम बिगड़ने के बाद ।

  • मर्क सौल 30, दिन में 3 बार

2. खसरे के बाद कान की खुश्की के कारण हुआ रोग ।

  • कार्बो वेज या पल्साटिला 30, दिन में 3 बार

3. यदि बाह्य मरहमों के प्रयोग से दबे हुए घावों के बाद रोग हो ।

  • सल्फर 30, दिन में 3 बार

4. बवासीर के बाद हुआ रोग ।

  • नक्स वोमिका 30 दिन में 3 बार

5. बायोकैमिक औषधि

  • काली म्यूर 6X, दिन में 3 बार

6. महीने में एक बार ट्युबरकुलाइनम 200 या 1M की एक मात्रा साल भर तक देनी चाहिए । इसके देने के 2 दिन पहले और 2 दिन बाद तक कोई दवा न दें |

कान में आवाज होना (Voices in the Ears )

कान के परदे पर बहुत ज़्यादा दबाव पड़ने के कारण कई बार कान में तरह तरह का शोर होता है ।

1. ऐसा लगे जैसे कि कान में रेलगाड़ी चल रही है; चिड़ियों की चहचहाट आदि ।

  • काली म्यूर 6X या 30 दिन में 3 बार

2. गाने की या हिस-हिस की आवाज आए।

  • काली आयोडाइड 6 या 30, दिन में 3 बार

3. हर धीमी आवाज भी जोर की गूंज की तरह सुनाई दे; गाड़ी की गड़गड़ाहट या मशीन के शोर में अच्छाई ।

  • ग्रेफाइट्स 30, दिन में 3 बार

4. चबाते समय कान में शोर सुनाई दे ।

  • काली सल्फ 6X या 30, दिन में 3 बार

5. मासिक होने से पहले कान में शोर सुनाई दे ।

  • फैरम मैट 3X या 30, दिन में 3 बार

6. ऐसा लगे जैसे कि कान में घंटियाँ बज रही हों, तूफान हवा चलने का शोर आदि ।

  • लीडम पैल 30, दिन में में 3 बार

7. अपनी ही आवाज कान के अंदर बार-बार गूँजे ।

  • लाइकोपोडियम 30, दिन में 3 बार

कानों में मैल जमा होना (Wax in the Ears )

1. जब मैल सख्त हो ।

  • पल्साटिला 30, दिन में 3 बार

2. जब मैल पीली आभा लिए सफेद हो ।

  • लैकेसिस 30, दिन में 3 बार

3. जब मैल लाल रंग का हो ।

  • कोनियम 200 या सोराइनम 200 दें

4. जब मैल अप्राकृतिक रूप से काफी मात्रा में जमा हो ।

  • कॉस्टिकम 30, दिन में 3 बार

5. मुल्लियन ऑयल रात में सोते समय कान में डालकर अगले दिन सुबह कान साफ करें।

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