सेंग्वीनेरिया | Sanguinaria
सावधिक मितलीयुक्त सिरदर्द प्रातःकाल आरम्भ होता है, दिन में बढ़ता है, शाम तक घट जाता है; लगता है जैसे सिर फट जायेगा या जैसे आंखें बाहर निकल आयेंगी सोने से आराम आता है।
अमेरिकावासियों को होने वाला मितलीयुक्त सिरदर्द, अन्धेरे कमरे के अन्दर एकदम चुपचाप पड़े रहने से आराम आता है। (“थकाने वाला सिरदर्द”, जिसकी उत्पत्ति अत्यधिक मनोश्रम अथवा शारीरिक आवास के फलस्वरूप होती है – एपिजिया; विश्राम काल में सिरदर्द बढ़ता है मसलने, दबाव देने, चलने-फिरने से आराम आता है – इण्डिगो) ।
दर्द सिर के पिछले भाग में आरम्भ होता है, ऊपर की ओर फैलता है और दाई आँख के ऊपर स्थिर हो जाता है (साइली; बायें नेत्र गह्वर के ऊपर या अन्दर – स्पाइजी) ।
सिरदर्द, रजोनिवृत्ति पर वापस लौट आता है; प्रत्येक सातवें दिन (सैबाडि, साइली, स्पाइजी आठवें दिन – आइरिस ) |
ललाटशूल, जिसमें घुटनों के बल नीचे झुकने तथा सिर को फर्श पर कठोर दबाव देने से आराम मिलता है; दर्द ऊर्ध्वहनु से समस्त दिशाओं को फैलता है ।
दोपहर के बाद गालों की परिवृतीय लाली; कानों में जलन; श्वसनि का शोध, फुफ्फुसपाक, यक्ष्मा में ।
दक्षिण भुजा एवं स्कन्ध में आमवाती पीड़ा (वाम – फेरम); भुजा ऊपर नहीं उठा सकता, रात्रिकालीन वृद्धि । ऐसी अस्थियों वाले स्थानों में पीड़ा जो अल्पतम रूप से चर्मावृत्त रहती हैं, जैसे पिण्डली की बड़ी हड्डी, हाथों का पिछला भाग, आदि (रस-वेनी) ।
स्वरयंत्र एवं ग्रासनली में जलन । स्वरयंत्र अथवा नाक के अन्दर अनेक जड़ों वाला फोड़ा (सैंग्वी-नाइ, सोरा, टियूकि) ।
रजोनिवृत्तिकालीन रोग – गर्मी की चौंध और प्रदर, हथेलियों तथा पदतलों की जलन; ओढे हुए वस्त्रों को दूर फेंक देने के लिये बाध्य हो जाता है; स्तनों की दर्दनाक वृद्धि; जब लैकेसिस और सल्फर आरोग्य प्रदान करने में असफल पाये जाते हैं ।
तृणपुष्पज्वर (rose cold) के बाद दमा, गन्ध से वृद्धि ।
खाँसी – सूखी, रात को जगा देती है और तब तक बन्द नहीं होती जब तक बिस्तरे में उठ कर बैठ नहीं जाता और अधोवायु नहीं निकाल लेता; गालों की परिवृत्तीय लाली, रात्रि-स्वेदन; अतिसार । कूकरकास के बाद उग्र खाँसी; जब भी रोगी को सर्दी लगती है तभी खांसी नीट आती है।
युवा-स्त्रियों के चेहरे पर दाने, विशेष रूप से जब आर्तवस्राव अल्प मात्रा में होता है (बेलिस, केल, यूजेन, सोरा)।
सम्बन्ध –
- मितलीयुक्त सिरदर्द में बेला, आइरिस तथा मेलीलो से से तुलना कीजिये ।
- रजो-निवृत्ति कालीन व्याधियों में लैके तथा सल्फ से से तुलना कीजिये ।
- जीर्ण श्वसनिकाशोथ अथवा अदृश फुफ्फुसपाक में चेलिडो, फास्फो सल्फ तथा बेरा-विरा से तुलना कीजिये ।
- रक्तज्वर में बेला की असफलता के बाद ।
- अफीम के नशीले प्रभाव को नष्ट करने के लिये एक रामबाण औषधि ।